Last Updated: Monday, October 14, 2013, 20:13
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि शारीरिक संबंध विवाह का अनिवार्य पहलू है और पत्नी का पति से इस तरह के संबंध से बार-बार इंकार करना तलाक का आधार हो सकता है।
पति को तलाक देने वाले एक कुटुंब अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली महिला की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने फरवरी में निचली अदालत द्वारा पति के पक्ष में सुनाए गए आदेश को बरकरार रखा।
अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि साल 2009 में दंपति ने मुद्दों को सुलझा लिया था लेकिन इसके बाद भी पत्नी ने पति के साथ यौन संबंध बनाने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा, ‘‘कुटुंब अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला था कि दोनों के बीच तकरीबन 8 से 9 साल से कोई दांपत्य संबंध नहीं था क्योंकि अपीलकर्ता---पत्नी प्रतिवादी---पति से दूर गुजरात में अपने वैवाहिक घर में रह रही थी या उसने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाया।’’
अदालत ने कहा, ‘‘वैवाहिक सहवास का वादे से पत्नी मुकर गई क्योंकि वह पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से लगातार इंकार करती रहीं। साल 2013 में फैसला सुनाए जाने तक पक्षकारों के बीच शारीरिक दूरी बनी रही। विवाहित जोड़े के बीच शारीरिक संबंध शादी का एक महत्वपूर्ण पहलू है और शारीरिक संबंध से लगातार इंकार करना वैवाहिक संबंध की जड़ पर प्रहार करता है।’’
पीठ ने प्रतिवादी की इस दलील को भी स्वीकार किया कि उसकी पत्नी ने उसपर अपनी भाभी के साथ नाजायज संबंध रखने का आरोप लगाया था जो मानसिक क्रूरता है।
अदालत ने कहा, ‘‘इस अदालत की राय है कि परिवार अदालत का फैसला ठोस सबूत पर आधारित है और उसके निष्कर्ष सही हैं। क्रूरता के आधार पर शादी को खत्म करने के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’ (एजेंसी)
First Published: Monday, October 14, 2013, 20:13