Last Updated: Wednesday, October 23, 2013, 17:42
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उसके आदेश के संदर्भ में पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह की अपमानजनक टिप्पणियों के लिये उन्हें आड़े हाथ लेते हुये कहा कि किसी को भी न्यायालय को बदनाम करने और उसके निर्णय की मंशा पर टिप्पणी की इजाजत नहीं दी जा सकती। जनरल सिंह ने अपनी आयु के विवाद के संबंध में शीर्ष अदालत के निर्णय पर टिप्पणी की थीं।
न्यायमूर्ति आर एम लोढा और न्यायमूर्ति एच एल गोखले की खंडपीठ ने जनरल सिंह के खिलाफ स्वत: शुरू की गयी अवमानना कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू होते ही पूर्व जनरल को इस मामले में नोटिस दिये जाने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं करने के लिये आड़े हाथ लिया। न्यायाधीशों ने उन्हें और उनके वकील को चेतावनी दी कि वे इस मामले को हलके में नहीं लें।
न्यायालय ने कहा कि वह अपने फैसले की आलोचना का स्वागत करता है लेकिन निर्णय में मंशा खोजने की इजाजत नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने कहा कि सिंह का बयान न्यायिक प्रणाली की ‘बुनियाद पर ही चोट कर रहा है।’ स्थानीय दैनिक अखबार में प्रकाशित उनकी कथित अपमानसूचक टिप्पणियों के अंश का जिक्र करते हुये न्यायाधीशों ने कहा, ‘आपको इस तरह से अदालत को बदनाम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसकी अनुमति नहीं है।’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘न्यायाधीश पर दबाव डाला गया। इस तरह से नहीं कहा जा सकता। सिंह का बयान प्रणाली की बुनियाद पर ही चोट कर रहा है।’
न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम अपने फैसले की आलोचना का स्वागत करते हैं लेकिन हम न्यायालय के फैसले की मंशा पर सवाल उठाने का स्वागत नहीं करते हैं।’ न्यायाधीशों ने सिंह के वकील द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के एक अन्य मामले में व्यस्त होने की वजह से यहां पेश नहीं हो सकने के आधार पर सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध पर भी अप्रसन्नता व्यक्त की और यहां तक कहा कि पूर्व सेनाध्यक्ष खुद अपना बचाव कर सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 23, 2013, 17:42