Last Updated: Friday, May 9, 2014, 16:27
ज़ी मीडिया ब्यूरो/संजीव कुमार दुबेनई दिल्ली: गुजरात के बहुचर्चित महिला जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस मामले की जांच नहीं करवाएगी। इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार जांच के लिए कोई आयोग नहीं बनाएगी।
केंद्र सरकार ने बताया कि गुजरात पुलिस द्वारा एक महिला की कथित जासूसी की जांच के लिए किसी तरह का आयोग गठित नहीं किया जा रहा है। महाधिवक्ता मोहन पारासरण ने न्यायामूíत रंजना प्रकाश देसाई और न्यायामूर्ति एन.वी.रमना की पीठ को बताया कि केंद्रीय कानून मंत्री (कपिल सिब्बल) बयान दे चुके हैं कि जासूसी कांड की जांच के लिए आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव नहीं है। पारासरण ने यह बयान अदालत द्वारा जारी नोटिस के जवाब में दिया।
न्यायालय ने महिला और उसके पिता की एक याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें मांग की गई थी कि कथित जासूसी कांड की जांच के लिए किसी तरह के आयोग के गठन से केंद्र व गुजरात सरकार को रोका जाए।
लड़की के पिता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पिता से कहा कि वह राज्य की जांच पर रोक के लिए हाईकोर्ट जाएं और गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दें।
गौर हो कि इस जासूसी कांड में उस समय नया मोड़ आ गया था जब इस प्रकरण की केंद्र बिंदु बनी महिला ने अपने पिता के साथ बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और केंद्र तथा राज्य सरकार को अपने जांच आयोगों में आगे बढ़ने से रोकने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित आदेशों पर गुजरात पुलिस ने इस महिला का पीछा किया था।
एक समाचार पोर्टल की ओर से हाल में 2009 में महिला आर्किटेक्ट की जासूसी कराने के बारे में मोदी के सहयोगी अमित शाह और राज्य पुलिस के दो प्रमुख अधिकारियों के बीच टेलीफोन पर कथित बातचीत से संबंधित सीडी जारी किए जाने से यह विवाद सुखिर्यों में आया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Friday, May 9, 2014, 13:47