Last Updated: Friday, May 9, 2014, 10:47
ज़ी मीडिया ब्यूरो/बिमल कुमार नई दिल्ली : गुजरात के बहुचर्चित महिला जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। इस बात की संभावना है कि इस मामले में आज फैसला आ सकता है।
गौर हो कि इस जासूसी कांड में उस समय नया मोड़ आ गया था जब इस प्रकरण की केंद्र बिंदु बनी महिला ने अपने पिता के साथ बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और केंद्र तथा राज्य सरकार को अपने जांच आयोगों में आगे बढ़ने से रोकने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित आदेशों पर गुजरात पुलिस ने इस महिला का पीछा किया था।
न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति एनवी रमण की खंडपीठ के समक्ष पिता पुत्री की संयुक्त याचिका का उल्लेख किया गया। खंडपीठ ने कहा कि वह संबंधित पक्षों को सुने बगैर इस मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकती है। न्यायालय ने केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी करके शुक्रवार तक उनसे जवाब मांगा। इस मामले में अब आज सुनवाई होगी।
याचिका में निजता के मौलिक अधिकार और गरिमा के साथ जीने के अधिकार के संरक्षण का भी अनुरोध किया गया है। शीर्ष अदालत ने मीडिया से भी आग्रह किया कि इस मामले में महिला का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाए। एक समाचार पोर्टल की ओर से हाल में 2009 में महिला आर्किटेक्ट की जासूसी कराने के बारे में मोदी के सहयोगी अमित शाह और राज्य पुलिस के दो प्रमुख अधिकारियों के बीच टेलीफोन पर कथित बातचीत से संबंधित सीडी जारी किए जाने से यह विवाद सुखिर्यों में आया था।
अगस्त और सितंबर, 2009 के दौरान कथित रूप से हुई इस बातचीत में स्पष्ट रूप से मोदी के नाम का जिक्र नहीं है लेकिन इसमें ‘साहब’ का हवाला दिया गया है जिसके बारे में पोर्टल का दावा है कि यह गुजरात के मुख्यमंत्री के लिए है जिनके कहने पर ही जासूसी की गई थी, लेकिन शाह ने इस आरोप से इनकार किया है। गुजरात सरकार ने पिछले साल नवंबर में ही इसकी जांच के लिए एक आयोग गठित किया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी इसका अनुसरण किया। लेकिन उस समय एक बड़ा विवाद छिड़ गया जब पिछले सप्ताह वरिष्ठ मंत्रियों ने घोषणा की कि जांच आयोग की अध्यक्षता के लिए न्यायाधीश के नाम की घोषणा की जाएगी। केंद्र सरकार ने अपने कदम उस समय पीछे खींच लिए क्योंकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दो सहयोगी दलों ने कांग्रेस के इस प्रयास का विरोध किया।
इस महिला और उसके पिता ने याचिका में समाचार पोर्टल की ओर से जासूसी के संबंध में टेलीफोन बातचीत की सीडी जारी किए जाने के बाद उठे विवाद के बारे में खबरें प्रकाशित या प्रसारित करने से मीडिया को रोकने का भी अनुरोध किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि उनके द्वारा कोई शिकायत दर्ज नहीं कराए जाने के बावजूद विभिन्न व्यक्ति अलग अलग कारणों से उनके अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं।
कुमार ने पिता पुत्री की ओर से कहा कि जब मेरी जान को खतरा था तो उस समय गुजरात सरकार की तरफ से उठाए गए सुरक्षा उपायों से मैं संतुष्ट हूं और 2009 में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में जब मैं शिकायत नहीं कर रही हूं लेकिन मेरी और मेरे परिवार की छवि को ठेस पहुंचाने के लिये कुत्सित अभियान चलाया जा रहा है। याचिका में उन्होंने गुजरात काडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा द्वारा वेब पोर्टल द्वारा सामने लाए गए अपुष्ट और अप्रमाणित अंशों के आधार पर जासूसी कांड का मसला उठाए जाने और इसकी सीबीआई जांच की मांग पर भी आपत्ति की। (एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Friday, May 9, 2014, 10:47