प्रतिभावान भारतीयों ने दुनिया में बढ़ाया देश का मान

प्रतिभावान भारतीयों ने दुनिया में बढ़ाया देश का मान

प्रतिभावान भारतीयों ने दुनिया में बढ़ाया देश का मान नई दिल्ली : अपनी असंदिग्ध प्रतिभा के दम पर दुनियाभर में भारत का परचम लहराने वाले लोगों ने इस वर्ष कई मौकों पर तिरंगे का गौरव बढ़ाया। ऐमी बेरा, तुलसी गब्बार्ड, निशा देसाई बिस्वाल, शिरीष पारीक, सुंदर पिचई जैसे लोगों ने अपनी उपलब्धियों से अपने नाम के साथ जुड़े ‘‘भारतीय मूल’’ को गौरवान्वित किया।

कैलोफोर्निया से भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सक ऐमी बेरा और इराक युद्ध में शामिल रहीं हवाई की तुलसी गब्बार्ड ने जनवरी में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के नये सदस्यों के रूप में शपथ लेकर एक इतिहास रचा।

बेरा प्रतिनिधिसभा के लिए निर्वाचित होने वाले तीसरे भारतीय अमेरिकी हैं। इससे पहले 1950 में दलीप सिंह सौंध एवं वर्ष 2005 में बॉबी जिंदल इस सदन के लिए चुने गए थे। तुलसी गब्बार्ड अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव जीतने वाली अब तक की पहली हिंदू हैं। दोनों ही डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं।

इस साल जून में ब्रिटेन में भारतीय मूल के 29 वर्षीय पत्रकार अमोल राजन को ‘द इंडीपेंडेंट’ अखबार का संपादक बनाया गया। वह किसी ब्रिटिश अखबार के पहले गैर श्वेत संपादकीय प्रमुख बने हैं।

कोलकाता में जन्मे अमोल राजन पहले अखबार के ‘कमेंट एडिटर’ थे। अमेरिका में ओबामा प्रशासन ने दक्षिणी और मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री पद के लिए अक्तूबर में भारतीय अमेरिकी प्रशासक निशा देसाई बिस्वाल को चुना। निशा इस शीर्ष राजनयिक पद पर पहुंचने वाली भारतीय-अमेरिकी समुदाय की पहली व्यक्ति हैं।

यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट में एशिया मामलों की सहायक प्रशासक के पद पर कार्यरत निशा की नयी जिम्मेदारी के लिए जब सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने निशा के नाम की पुष्टि के लिए सितंबर में बहस की थी अमेरिका के दोनों राजनीतिक दलों का उन्हें समर्थन और सराहना मिली। भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक शिरीष पारीक को मार्च में 30 सदस्यीय विनिर्माण परिषद में चुना गया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को अग्रणी स्थान पर लाने के उद्देश्य से गठित यह परिषद शीर्ष सरकारी निकाय है।

भारतीय मूल के सुंदर पिचई को मार्च में गूगल के एंड्रायड प्रभाग का नया प्रमुख नामित किया गया। आईआईटी, खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले पिचई इंटरनेट कंपनी के सबसे ताकतवद अधिकारियों में शुमार हो गए हैं।

अक्तूबर माह में प्रतिष्ठित ‘नेशनल काउंसिल ऑन द आर्ट्स’ के सदस्य के रूप में अमेरिकी सीनेट ने भारतीय-अमेरिकी रिनी रामास्वामी के नाम को मंजूरी दे दी।

भरतनाट्यम नृत्यांगना रिनी ने मिनसोटा के मेट्रोपोलिस में वर्ष 1992 में ‘रागमंगला म्यूजिक एंड डांस थियेटर’ की स्थापना की और अमेरिका में इस भारतीय शास्त्रीय नृत्य को लोकप्रिय बनाया। नेशनल काउंसिल ऑन द आर्ट्स’ एजेंसी की नीतियों और योजनाओं के संबंध में नेशनल एंडोवमेंट ऑफ आर्ट्स के अध्यक्ष को सलाह देता है। यह अनुदान, अनुदान संबंधी दिशा-निर्देशों और नेतृत्व के संबंध में मिले आवेदनों पर अध्यक्ष को सलाह देने के साथ साथ उनकी समीक्षा भी करता है।

भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक डॉक्टर वी एम खरभरी को मार्च में अर्लिंगटन स्थित प्रतिष्ठित टेक्सास विश्वविद्यालय का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। पुणे विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने वाले खरभरी उन भारतीय-अमेरिकियों की सूची में शामिल हो गए हैं जो अमेरिका में शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख के पद पर हैं।

इसी साल अमेरिका की दूसरी सर्वोच्च अदालत में पहले दक्षिण एशियाई जज बन कर भारतीय अमेरिकी श्रीकांत श्रीनिवासन ने इतिहास रचा। श्रीनिवासन ऐसे एकमात्र भारतीय अमेरिकी हैं जिन्हें डिस्ट्रिक ऑफ कोलंबिया की अपीलीय अदालत के लिए पुनर्नामांकित किया गया। मई में मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजक ने नया मंत्रिमंडल बनाया जिसमें उन्होंने पांच मूलनिवासी भारतीय नेताओं को शामिल किया।

जनवरी में भारतीय मूल की नेत्री हलीमा याकूब ने सिंगापुर की संसद की पहली महिला स्पीकर होने का गौरव हासिल किया है। 58 साल की हलीमा भारतीय मूल की मुस्लिम हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 15, 2013, 12:52

comments powered by Disqus