Last Updated: Friday, November 15, 2013, 00:29

नई दिल्ली : विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य के रूस से भारत आने के दौरान उसे हवाई हमले से बचाने के लिए उसमें कोई सुरक्षा प्रणाली नहीं होगी और नौसेना ने इसे सुरक्षित तरीके से यहां लाने के लिए अपने युद्धपोत भेजे हैं।
नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य को हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए विवादित बराक मिसाइलों को तैनात करने का फैसला किया है। लेकिन युद्धपोत के भारत पहुंचने के बाद ही उसमें इसे लगाया जा सकेगा। नौसेना के एक अधिकारी ने यहां बताया कि युद्धक पोत विक्रमादित्य में अपनी हवाई सुरक्षा मिसाइल प्रणाली नहीं है। हमने इसके भारत पहुंचने पर इसमें बराक मिसाइल लगाने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रमादित्य को भारत लाने के लिए युद्धपोतों को रूस भेज दिया गया है और उन्हें गोपनीय मार्ग से अरब सागर स्थित अड्डे तक लाया जाएगा। आईएनएस विक्रमादित्य को लाने के लिए भेजे गए समूह में संभवत: भूमिगत पोतों को भी शामिल किया गया है। इस विमानवाहक पोत के लिए चुना गया बराक मिसाइल विवादों में रहा है और 2006 में इस सौदे में कथित रिश्वत मामले को लेकर सीबीआई की जांच चल रही है।
खरीद के संबंध में फैसला करने के लिए रक्षा मंत्रालय के शीर्ष निकाय रक्षा खरीद परिषद ने भी एक अलग समिति गठित की है जिसे यह फैसला करना है कि मिसाइलों को खरीदा जाए या नहीं। रक्षा मंत्री एके एंटनी रूस के एक शिपयार्ड में बहु.प्रतीक्षित युद्धपोत को नौसेना में शामिल करेंगे। आईएनएस विक्रमादित्य को पिछले छह साल से तैयार किया जा रहा था। नौसेना की योजना इस युद्धपोत को नौसेना के नव.स्थापित कारवाड़ अड्डे पर तैनात करने की है।
रूस ने 2004 में आईएनएस विक्रमादित्य भारत को ‘मुफ्त’ देने की घोषणा की थी लेकिन इस पर अंतत: 12,000 करोड़ रूपए से ज्यादा का खर्च आ रहा है। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 15, 2013, 00:29