स्मार्टफोन से उड़ जाती हैं रातों की नींद

स्मार्टफोन से उड़ जाती हैं रातों की नींद

स्मार्टफोन से उड़ जाती हैं रातों की नींदवाशिंगटन: क्या आपको पता है कि मोबाइल फोन की नीली रोशनी के कारण रात के समय भोर होने जैसा आभास होता है और हम अपनी आंखें खोलकर खिड़की के बाहर झांकने को मजबूर हो जाते हैं। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि रात को सोने से पहले स्मार्टफोन और टैब्स को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि इनकी रोशनी से नींद में खलल पड़ता है और व्यक्ति पूरी नींद नहीं ले पाता है।

अमेरिकन केमिकल सोसायटी के ब्रायन जोल्तोव्स्की ने कहा कि हमारे जीवन में सबसे बेहतरीन जैविक संकेत ये है कि किस वक्त भोर होती है। रात बीतने की घड़ी में जब हमें हल्की नीली रोशनी दिखाई देने लगती है, हम समझ जाते हैं कि सुबह होने वाली है।

उसी तरह शाम घिरने के साथ नीली रोशनी की जगह लाल रोशनी होती है, जिससे हमें रात ढलने का आभास होता है और हमारा दिमाग सोने की तैयारी करता है। शाम की लाल रोशनी का संपर्क जब आंखो की गहराई में स्थित कोशिका में पाए जाने वाले प्रोटीन मेलानोप्सीन से होता है, तब ऐसा होता है।

जोलतोव्स्की ने कहा कि जब रोशनी इस प्रोटीन के संपर्क में आती है, तो कोशिकाएं दिमाग के मास्टर क्लॉक को संदेश प्रेसित करती हैं कि कम हमें सोना है और कब जगना है। नीली रोशनी के संपर्क में आते ही कोशिकाएं दिमाग को जगने का संकेत भेजने लगती हैं और गहरी नींद के बीच में खलल पड़ती है।

शोधकर्ताओं की सलाह है कि रात के समय अच्छी और पूरी नींद लेने के लिए अपने स्मार्टफोन और टैबलेट को सोते समय नजर की पहुंच से दूर रखना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, May 21, 2014, 08:41

comments powered by Disqus