मैं पुरस्कारों के पीछे नहीं भागता : मिल्खा सिंह

मैं पुरस्कारों के पीछे नहीं भागता : मिल्खा सिंह

मैं पुरस्कारों के पीछे नहीं भागता : मिल्खा सिंहनई दिल्ली : दिग्गज धावक मिल्खा सिंह ने कहा कि वह पुरस्कारों के पीछे नहीं भागते और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद 1958 में सरकार से मिले पद्मश्री से वह खुश हैं। मिल्खा ने यहां एक कार्यक्रम के इतर कहा, ‘मैं पुरस्कारों के पीछे नहीं भागता। सभी को पता है कि मिल्खा पद्मश्री से अधिक का हकदार है लेकिन मुझे शीर्ष पुरस्कारों के लिए महासंघ सहित अन्य को नामित करना होगा।’

खिलाड़ियों द्वारा पद्म पुरस्कारों की मांग के बारे में पूछने पर मिल्खा ने कहा, ‘मैं पद्मश्री से खुश हूं। अगर अब मुझे ऊंचा पद्म पुरस्कार मिलेगा तो इससे मुझे क्या फर्क पड़ेगा। भारत के लोगों को मेरी उपलब्धि पता है। मैं पद्म भूषण या पद्म विभूषण के पीछे नहीं भागना चाहता।’ एक व्यक्ति को ऊंचे वर्ग का पद्म पुरस्कार तभी मिल सकता है जब उससे पहले मिले पद्म पुरस्कार को कम से कम पांच साल का समय बीत गया हो। हालांकि जो लोग इसके बहुत अधिक हकदार होते हैं उन्हें पुरस्कार समिति छूट दे सकती है।

मिल्खा यहां बीएलके सुपर स्पेशिएलिटी हास्पिटल में खेल इंजरी क्लीनिक के उद्घाटन के लिए आए थे। कार्डिफ में 1958 राष्ट्रमंडल खेलों की 400 मीटर स्पर्धा में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा ने हालांकि विश्व स्तरीय ट्रैक एंड फील्ड खिलाड़ी तैयार नहीं करने के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया।

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने काफी कुछ किया है। बुनियादी ढांचे से लेकर ट्रेनिंग के लिए सुविधाएं मुहैया कराना आदि। हमारे समय में हमें इस तरह की सुविधाएं नहीं मिलती थी। मौजूदा समय में एथलीटों को यह सब मिल रहा है।’ मिल्खा ने कहा, ‘इसके बावजूद मेरे बाद लगभग 60 साल में देश कोई मिल्खा सिंह तैयार नहीं कर पाया। मैं कहूंगा कि महासंघ और खिलाड़ी भी इसके लिए दोषी हैं। कुछ एथलीटों में प्रतिबद्धता की कमी भी है।’ (एजेंसी)

First Published: Tuesday, January 14, 2014, 19:51

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