शूमाकर अब शायद कभी कोमा से बाहर न आ सकें

शूमाकर अब शायद कभी कोमा से बाहर न आ सकें

शूमाकर अब शायद कभी कोमा से बाहर न आ सकेंलंदन: फ्रांस की अल्पाइन पहाड़ी में स्कीइंग के दौरान बीते वर्ष 29 दिसंबर को दुर्घटनाग्रस्त फॉर्मूला-1 के दिग्गज खिलाड़ी माइकल शूमाकर अब शायद कभी कोमा से बाहर न आ सकें। शूमाकर के मस्तिष्क में जिस तरह की चोट आई है, उस पर हुए एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि मस्तिष्क में इस तरह की गंभीर चोट (ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरीज) के मामलों में जल्द मृत्यु का खतरा तीन गुना अधिक बढ़ जाता है।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय एवं स्वीडन के स्टॉकहोम में स्थित कैरोलिंस्का संस्थान के शोधकर्ताओं के अनुसार, मस्तिष्क में इस तरह की गंभीर चोट के बाद बच जाने वाले लोगों में जल्द मृत्यु होने का जोखिम तीन गुना बढ़ जाता है। ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरीज (टीबीआई) के मामलों में व्यक्ति की खोपड़ी में फ्रैक्चर हो सकता है, आंतरिक रक्तस्राव, लंबे समय के लिए अचेत हो जाना या इनमें से कई लक्षण हो सकते हैं।

शोध पत्रिका `जेएएमए साइकियाट्री` में प्रकाशित अध्ययन में मुख्य शोधकर्ता सीना फाजेल ने कहा कि टीबीआई के बाद छह महीने से अधिक जीवित व्यक्तियों में अधिकांश की मौत अन्य लोगों की अपेक्षा अल्पायु में हुई पाई गई। फॉर्मूला-1 चैम्पियन 44 वर्षीय शूमाकर दुर्घटना के बाद से फ्रांस के ग्रेनोबल अस्पताल में भर्ती चल रहे हैं, तथा 18 दिनों बाद भी चिकित्सकीय कोमा में हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि मादक पदार्थो का इस्तेमाल करने वाले एवं मानसिक बीमारी से ग्रस्त टीबीआई के बाद जीवित बचे व्यक्तियों में भी अल्पायु में मृत्यु का खतरा अधिक पाया गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अल्पायु में मृत्यु से आशय 56 वर्ष की आयु से पहले हुई मृत्यु से है। (एजेंसी)

First Published: Friday, January 17, 2014, 08:56

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