Last Updated: Saturday, November 16, 2013, 17:57
नई दिल्ली : पिछले दो वर्षों में बिजली की दरों में 65 प्रतिशत की वृद्धि को भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ही एक बड़ा मुद्दा बनाकर पेश कर रही हैं। आगामी 4 दिसंबर को होने वाली चुनावी लड़ाई में दिल्ली की सत्ताधारी कांग्रेस को इस मुद्दे पर लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।
भाजपा और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमले बोलती रही है। भाजपा और आप ने सत्ता में आने पर बिजली की दरों में क्रमश: 30 प्रतिशत और 50 प्रतिशत की कमी करने का वादा किया है। गरीब हों या अमीर, सभी वर्गों के लोगों ने यह बात मानी है कि बिजली की ‘ऊंची’ दरें उनके मासिक बजट को प्रभावित करती रही हैं और मतदान करते समय अन्य मुद्दों के साथ-साथ यह मुद्दा भी उनके दिमाग में रहेगा।
अधिकतर उपभोक्ताओं का यह मानना था कि बिजली की आपूर्ति में सुधार हुआ है, बिजली के बढ़े हुए बिल एक बड़ी चिंता बने हुए हैं। शहर में बिजली की दरों में 22 प्रतिशत की वृद्धि वर्ष 2011 में की गई थी। इसके बाद पिछले साल 5 प्रतिशत की वृद्धि की गई। पिछले साल मई में इन दरों में 2 प्रतिशत वृद्धि की गई और फिर पिछले साल ही जुलाई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरों में 26 प्रतिशत की और वृद्धि की गई। (एजेंसी)
First Published: Saturday, November 16, 2013, 17:57