Last Updated: Wednesday, December 4, 2013, 00:09

नई दिल्ली : नई विधानसभा के लिए बुधवार को दिल्ली में होने जा रहे मतदान के बीच सभी की नजरें राजनीति के क्षेत्र के नए खिलाड़ी आम आदमी पार्टी पर टिकी होगी। कड़े मुकाबले में पिछले 15 साल से वनवास में चल रही भाजपा ने सत्ता पाने के लिए जोरदार प्रचार किया जबकि शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस अपने चौथे कार्यकाल के लिए अपने विकास एजेंडे से लोगों को लुभाने की जी-तोड़ कोशिश की। उधर, दिल्ली निर्वाचन आयोग ने आज कहा कि वह 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए निष्पक्ष, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनावी दंगल का परिदृश्य ही बदल डाला है। ऐसे में अब यह देखना रोचक होगा कि क्या अपने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम से आप बस खेल बिगाड़ेगी या कुछ सीटें भी जीतेंगी जैसा कि ओपिनियन पॉल में अनुमान लगाया गया है।
भाजपा ने लालकृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी समेत अपने शीर्ष नेताओं को प्रचार अभियान में उतारा था और इन नेताओं ने लोगों से भ्रष्ट कांग्रेस सरकार को अपदस्थ करने का आह्वान करते हुए पूरी दिल्ली में अपनी पार्टी के पक्ष में प्रचार किया। जहां अपने पूरे शीर्ष नेताओं के साथ अभियान में उतरी भाजपा का प्रचार कांग्रेस की तुलना में अधिक प्रभावी जान पड़ा वहीं आम आदमी पार्टी ने घर घर जाकर प्रचार किया और उसके नेता अरविंद केजरीवाल ने कई रोडशो को संबोधित किया।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने आप को गंभीर प्रतिस्पर्धी मानने से इनकार कर दिया है जबकि कई चुनावपूर्व सर्वेक्षणों में इस नयी पार्टी के लिए अच्छे समर्थन का अनुमान लगाया गया है। वैसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दो चुनावी रैलियां संबोधित की लेकिन इस सत्तारूढ़ दल के पूरे प्रचार अभियान की कमान 75 वर्षीय मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने संभाले रखी जिन्होंने अपने ‘समग्र विकास एजेंडे’ के लिए चौथा कार्यकाल मांगा।
शीला दीक्षित के लिए यह सबसे कठोर चुनावी मुकाबला समझा जा रहा है। सत्ताविरोधी लहर के अलावा उन्हें सब्जियों और फलों के दामों में पिछले दो महीने में तीव्र वृद्धि को लेकर लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। भाजपा और कांग्रेस के बीच अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितकरण, पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग, पानी और बिजली की उंची दरें जैसे स्थानीय मुद्दों पर आरोप-प्रत्योराप का दौर चला।
कल 1.19 करोड़ मतदाता दिल्ली का भाग्यविधाता तय करने के लिए वोट डाल पाएंगे। उनमें से 4.05 लाख पहली बार वोट वोट डालने जा रहे हैं। सत्तर सदस्यीय विधानसभा के लिए 810 उम्मीदवार चुनावी दंगल में हैं। भाजपा ने 66 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जबकि कांग्रेस और आप सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बसपा ने 69, राकांपा ने 9 और सपा ने भी 27 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। कुल 224 निर्दलीय उम्मीदवार भी अपना राजनीतिक भाग्य आजमा रहे हैं।
वहीं, दिल्ली निर्वाचन आयोग ने आज कहा कि वह 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए निष्पक्ष, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय देव ने कहा कि हमने 4 दिसंबर को सुरक्षित माहौल में निष्पक्ष और स्वतंत्र मतदान कराने के लिए सभी तैयारियां कर ली हैं। 70 विधानसभा सीटों के लिए कल होने वाले मतदान में 1.19 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे जिनमें 4.05 लाख से अधिक वोटर पहली बार चुनाव में शामिल होंगे। दिल्ली में पहली बार ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) का विकल्प भी मतदाताओं को उपलब्ध होगा।
उधर, दिल्ली में बुधवार को होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए धन, बल और शराब आदि के दुरपयोग को रोकने के लिए चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद कर दी गई है। दिल्ली में पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार संवेदनशील मतदान केंद्रों की संख्या लगभग दोगुनी होने के साथ ही यहां सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी बढ़ा दी गई है।
वर्ष 2008 में यहां ऐसे 264 संवेदनशील मतदान केंद्र थे, जबकि इस बार इन संवेदनशील केंद्रों की संख्या बढ़ कर 634 हो गई है। इसी तरह पिछले चुनाव के दौरान चुनाव कार्यों में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या को भी 35,000 से बढ़ाकर 64,000 कर दी गई है। इसके अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 107 कंपनियां भी यहां तैनात की गई है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 3, 2013, 17:39