Last Updated: Tuesday, December 3, 2013, 19:23
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : दिल्ली की पांचवीं विधानसभा के लिए बुधवार को 1.19 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। पिछले विधानसभा चुनावों के कुछ तथ्य यहां पेश हैं।
साल 1952 में दिल्ली सी श्रेणी का राज्य था और इसके पहले मुख्यमंत्री कांग्रेस के ब्रह्मप्रकाश थे। उसके बाद 1955 में गुरमुख निहाल मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1956 में विधानसभा की व्यवस्था खत्म कर दी गई और उसके स्थान पर 1966 में दिल्ली महानगर परिषद का प्रावधान किया गया।
दिल्ली के राज्य बनने के बाद 1993 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां पहला विधानसभा चुनाव जीता। 1993 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 49 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। कांग्रेस को 14 सीटें और तीन स्थानों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए थे। दिल्ली में उस समय 70 सीटों पर 61.75 प्रतिशत मतदान हुआ था। मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। पांच वर्ष के कार्यकाल में भाजपा के तीन मुख्यमंत्री हुए। अन्य दो साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज थे।
वर्ष 1998 के चुनाव में कांग्रेस को विजय हासिल हुई। उसने 70 में से 52 सीटों पर विजय हासिल की। पार्टी ने शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री चुना। भाजपा को केवल 15 सीटें मिलीं। जनता दल को एक और निर्दलीय उम्मीदवार दो स्थानों पर विजयी हुए। उसके बाद से भाजपा दिल्ली की सत्ता में वापस नहीं लौटी। वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा ने अपनी सीटों की संख्या 15 से बढ़ाकर 20 कर ली लेकिन सरकार कांग्रेस की ही बनी। कुल 53.42 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वर्ष 2008 में भी कांग्रेस की सरकार बनी और शीला दीक्षित लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाली देश की प्रथम महिला बनीं। कांग्रेस को 43 सीटों और भाजपा को 23 सीटों पर जीत हासिल हुई। कुल 57.58 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला।
First Published: Tuesday, December 3, 2013, 19:23