Last Updated: Monday, November 11, 2013, 14:36

वसुंधरा राजे सिंधिया ने देश की राजनीति में अपनी क़ाबलियत से एक पहचान क़ायम कर ली। वसुंधरा का जन्म 8 मार्च, 1953 ई. को मुंबई में हुआ था। वसुंधरा राजे ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया और उन की पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान हैं। वसुंधरा राजे ने प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल, से प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद सोफिया महाविद्यालय, मुंबई यूनिवर्सिटी से इकॉनॉमिक्स और साइंस आनर्स से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। वसुंधरा की शादी धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंतसिंह के साथ हुई थी। वसुंधरा राजे तब से ही राजस्थान से जुड़ गईं थीं।
वसुंधरा राजे अध्ययन, संगीत, घुड़सवारी, फोटोग्राफी और बागबानी की शौकीन हैं। उनका रुतबा देखकर राजस्थान की जनता ही नहीं, पक्षविपक्ष के नेता विधानसभा तक में उन्हें महारानी ही कहते थे।
वसुंधरा राजे को साल 1984 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। वसुंधरा राजे की कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफ़ादारी के चलते 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रीमंडल में वसुंधरा को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। वसुंधरा राजे को अक्टूबर, 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्माल इंडस्ट्रीज, कार्मिक एंड ट्रेनिंग, पेंशन व पेंशनर्स कल्याण, न्यूक्लियर एनर्जी विभाग एवं स्पेस विभाग का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।
वसुंधरा ने अपने दम पर देश की राजनीति में अलग पहचान बनाई। राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने से प्रदेश में किसी दमदार नेता का अभाव खटकने के बाद वसुंधरा तेजी से उभरीं। वसुंधरा के पुराने बैकग्राउंड को देखते हुए केंद्रीय पार्टी ने उन को राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया।
वसुंधरा राजे ने पिछले चुनावों के दौरान प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा निकाली। वसुंधरा राजे इस यात्रा के जरिये आम जनता से मिलती थीं। पिछले विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे भारी बहुमत के बल पर पार्टी को सत्ता में ले आईं। दिसंबर, 2003 में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम बनाए।
राजस्थान में जब वसुंधरा राजे की अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की गई तो उनके समक्ष चुनौतियां कम नहीं थी। राज्य में बिखरी हुई भारतीय जनता पार्टी को समेटना और एकजुट करना कठिन रहा। राज्य में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में वसुंधरा राजे का नाम सबसे ऊपर है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा को नजरअंदाज कर राजस्थान में भाजपा का चुनाव जीतना असंभव है। इसीलिए भाजपा ने कटारिया और वसुंधरा को साथ रखते हुए संतुलन साधने की कोशिश की है।
वसुंधरा ने जब पूर्व में अध्यक्ष पद छोड़ा था और अब जब पुन: अध्यक्ष पद संभाला, इस दौरान पार्टी के जो भी बड़े निर्णय रहे उनमें वसुंधरा की ही चली। विधायक दल में अपना दबदबा होने और राज्यभर में अपना व्यापक समर्थन होने के चलते वह पार्टी आलाकमान से अपनी मांगें मनवाने में सफल रहती हैं। पार्टी की ओर से राजे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की पूरी उम्मीद है। यदि बीजेपी की सरकार बनती है तो राजे ही मुख्यमंत्री पद की प्रबल उम्मीदवार होंगी।
इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा। राजस्थान में बीजेपी के लिए सत्ता पाना खासा जरूरी है क्योंकि उत्तर भारतीय राज्यों में उसका आधार बीते कुछ समय में खिसका है। राजस्थान में यदि भाजपा सरकार बनती है तो अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में यहां की 25 संसदीय सीटों में से पार्टी को अभी के मुकाबले ज्यादा सीटों का लाभ हो सकता है।
First Published: Monday, November 11, 2013, 14:36