Last Updated: Sunday, November 24, 2013, 16:12
जयपुर : राजस्थान में चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और प्रतिद्वंद्वी भाजपा 1 दिसंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए चुनाव प्रचार के अलग अलग तरीके अपना रहे हैं।
अशोक गहलोत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भाजपा मुख्यमंत्री पद की अपनी उम्मीदवार वसुंधरा राजे और नरेंद्र मोदी के करिश्मे को लेकर उम्मीद लगाए बैठी है, वहीं कांग्रेस क्षेत्रीय क्षत्रपों पर भरोसा करती दिखाई देती है जिन्हें उनके गढ़ों में पार्टी के नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पदाधिकारी के रूप में मुख्यमंत्री होने के बावजूद सत्तारूढ़ पार्टी सत्ता फिर से हासिल करने की स्थिति में नेतृत्व के मुद्दे को लेकर अस्पष्ट दिखाई देती है। प्रदेश के पार्टी नेताओं ने आज कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भाषणों में गहलोत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र प्रमुखता से हो रहा है। उन्होंने राज्य के वरिष्ठ नेताओं को उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने का काम भी सौंपा है।
सूत्रों ने कहा कि सत्ता विरोधी लहर और गहलोत सरकार से जाट और मुस्लिम जैसे महत्वपूर्ण समुदायों की नाराजगी दूर करने के लिए कांग्रेस ने एक सामूहिक नेतृत्व पेश किया है जो जमीन पर काम कर रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘छह महीने पहले हम खराब हालत में थे। तब से हमने दूरियों को पाटा है। राहुल ने टिकट वितरण में काफी रूचि दिखाई जिसमें विभिन्न समुदायों और पार्टी नेताओं के हितों का ध्यान रखा गया।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 24, 2013, 16:12