Last Updated: Thursday, October 24, 2013, 00:36

चुरू (राजस्थान) : भाजपा पर सांप्रदायिकता की आग भड़काने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी की ‘घृणा की राजनीति’ देश के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही है और आशंका जताई की उनकी दादी और पिता की ही तरह उनकी भी हत्या हो सकती है। उनकी दादी और पिता हिंसा का शिकार हो चुके हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि जब उन्होंने उत्तर प्रदेश में दंगा प्रभावित मुजफ्फरनगर का कुछ समय पहले दौरा किया तो उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों दोनों से बातचीत की और उनके शब्दों में वह अपनी कहानी को देख पा रहे थे।
गांधी ने कहा, ‘मैं उनके दुख में अपना चेहरा देख रहा था। इसलिए मैं उनकी (भाजपा) राजनीति के खिलाफ हूं। वे क्या करते हैं। वे मुजफ्फरनगर में ज्वाला भड़का देंगे, गुजरात में ज्वाला भड़का देंगे, उत्तर प्रदेश में आग भड़का देंगे और कश्मीर में आग भड़का देंगे और उसके बाद आप और हम उसे बुझाएंगे। यह देश को क्षति पहुंचाता है।’
राहुल गांधी ने कहा कि इस तरह की राजनीति गुस्सा और असहमति को जन्म देती है और हिंसा में बेशकीमती जान जाती है। उन्होंने कहा कि मेरी दादी की हत्या हुई थी। मेरे पिता की हत्या हुई थी और शायद एक दिन मेरी भी हत्या हो सकती है। मैं परेशान नहीं हूं। मैं दिल से जो महसूस करता हूं उसे आपसे कहना चाहता हूं। गांधी की दादी इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या की थी। उनके पिता राजीव गांधी की भी लिट्टे ने हत्या कराई थी।
उन्होंने एक वाकये का उल्लेख करते हुए बताया कि पंजाब का एक विधायक हाल में उनके कार्यालय में आया और उनसे कहा कि अगर वे 20 साल पहले मिले होते तो उसने गुस्से में कांग्रेस उपाध्यक्ष की हत्या कर दी होती।
उन्होंने कहा कि कोई भी गुस्सा हो सकता है। गुस्सा जानबूझकर लोगों में भरा जाता है। नेता इसे करते हैं। निहित स्वार्थ रखने वाली पार्टी इसे करती है। और तब इससे आहत होने वाले आम आदमी को अपने साथ इस गुस्से को लेकर चलना होता है। वह हर जगह इस गुस्से के साथ आता-जाता रहता है। इसलिए मैं भाजपा की राजनीति के खिलाफ हूं। क्योंकि वे राजनैतिक फायदे के लिए लोगों को चोट पहुंचाते हैं।
उन्होंने एक जनसभा में कहा कि उनकी दादी की हत्या के बाद उन्हें पता चला कि हत्यारे सतवंत सिंह और बेअंत सिंह दीपावली पर उनकी दादी पर ग्रेनेड फेंकना चाहते थे। उस सभा में सिख समुदाय के लोग भी थे। गांधी ने कहा कि बेअंत और सतवंत सिंह के खिलाफ अपने गुस्से को हटाने में उन्हें 10 से 15 साल लगे। बेअंत और सतवंत सिंह उनकी दादी इंदिरा गांधी के अंगरक्षक थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 23, 2013, 14:20