Last Updated: Wednesday, February 19, 2014, 22:11

नई दिल्ली : हत्या एवं दुष्कर्म के एक मामले में दोषी ठहराए गए तीन व्यक्तियों को यहां एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को मौत की सजा सुनाई। तीनों पर एक 19 वर्षीय युवती के साथ 2012 में दुष्कर्म के बाद हत्या करने का आरोप था।
अदालत ने कहा कि दोषी करार दिए गए लोगों के अपराध ने समाज की चेतना को झंझोर दिया। अदालत ने 13 फरवरी को रवि कुमार, राहुल और विनोद को अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के विभिन्न आरोपों में दोषी करार दिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने तीनों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि यह मामला `जघन्यतम की श्रेणी` में आता है।
न्यायाधीश ने कहा कि दोषियों को मरने तक फंदे पर लटकाया जाए। उन्होंने उल्लेख किया कि दोषी दो अत्यंत जघन्य अपराध में संलिप्त थे जिससे इन्हें मत्युदंड दिया जा रहा है। अदालत ने कहा कि दुष्कर्म और हत्या को अंजाम देने वाले अपना जीने का अधिकार खो देते हैं। ऐसे मामलों में उम्रकैद अत्यंत अपर्याप्त होता है और मौत की सजा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि हाल के दिनों में समाज में महिलाओं खास तौर से अवयस्क लड़कियों के खिलाफ यौन प्रताड़ना के मामलों की बाढ़ सी आ गई है।
अदालत ने कहा कि ऐसे समय में अदालतों को कड़ा संदेश देने के लिए ऐसे जघन्य अपराधों को कठोरता से लेना चाहिए। अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि जिस समय घटना घटी थी, उस समय पीड़िता की उम्र महज 19 वर्ष थी। सजा पर दलील पेश करते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि दोषियों ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की, क्योंकि पहले तो उन्होंने महिला का अपहरण किया, दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी। उसके बाद पीड़िता के शव को हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रोधाई गांव के एक खेत में फेंक दिया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि महिला का अपहरण तीन लोगों ने नौ फरवरी, 2012 की रात उस समय कर लिया, जब वह अपने काम से कुतुब विहार इलाके में स्थित अपने घर लौट रही थी। अभियोजन पक्ष ने कहा कि महिला के शरीर पर और सिर पर कई घाव लगे थे। पुलिस ने कहा कि तीनों महिला का अपहरण कर कार में ले गए और कार के जैक और मिट्टी के बर्तन से उस पर हमला किया।
पुलिस ने कहा कि रवि कुमार ने यह कृत्य इसलिए किया, क्योंकि पीड़िता ने उसकी दोस्ती का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 19, 2014, 22:11