Last Updated: Saturday, February 8, 2014, 22:29
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : आम आदमी पार्टी इस बात को लेकर अड़ गई है कि किसी भी सूरत में वह जन लोकपाल विधेयक को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पारित करेगी वह भी बिना केंद्र की अनुमति के। भाजपा और कांग्रेस पर जनलोकपाल विधेयक की राह में अड़ंगे लगाने का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने शनिवार को साफ कहा कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार केंद्र की पूर्वानुमति के बगैर विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्तावित विधेयक का पारित होना सुनिश्चित करेगी।
आप के वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘राष्ट्रपति एवं केंद्र की पूर्वानुमति के बगैर विधानसभा में जनलोकपाल विधेयक पारित कराना असंवैधानिक नहीं है, जैसा कि भाजपा और कांग्रेस दावा कर रही है।’ प्रशांत ने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 255 के तहत किसी राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून सिर्फ इस आधार पर अमान्य नहीं होगा कि उसने राष्ट्रपति की पूर्वानुमति हासिल नहीं की, पर उसे बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल करनी होगी।’
यह पूछे जाने पर कि ‘आप’ सरकार विधानसभा में विधेयक पेश करने से पहले राष्ट्रपति एवं केंद्र की मंजूरी आखिर क्यों नहीं लेना चाहती, इस पर प्रशांत ने कहा, ‘यदि सरकार केंद्र के पास लोकपाल विधेयक भेजती है तो हम जानते हैं कि विधेयक वहां अटक जाएगा। इसलिए पहले हम उसे विधानसभा में पेश करना चाहते हैं।’ प्रशांत ने कहा, ‘संविधान में ऐसा कुछ नहीं लिखा है कि दिल्ली सरकार को केंद्र से पूर्वानुमति लेना जरूरी है। लिहाजा, राष्ट्रपति एवं केंद्र की पूर्वानुमति के बगैर विधानसभा में विधेयक पेश करना असंवैधानिक नहीं है।’
आप नेता ने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा और कांग्रेस किसी भी तरीके से विधानसभा में विधेयक पेश करना और उस पर चर्चा नहीं होने देना चाहती। प्रशांत ने कहा, ‘दोनों राजनीतिक दल मानते हैं कि विधेयक पर चर्चा और मतदान से एक मजबूत और स्वतंत्र लोकपाल के गठन को रोकने में उनकी साझेदारी का खुलासा हो जाएगा। लोकपाल ऐसा होगा जिससे दोनों पार्टियों के कई नेता जेल जा सकते हैं।’ आप नेता ने कहा, ‘भाजपा और कांग्रेस कहती है कि वे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में हैं। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक को अगस्त 2003 में केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी भी दी थी पर न तो कांग्रेस ने और न ही भाजपा ने उसे पारित कराने की जरूरत समझी।’
प्रशांत ने कांग्रेस और भाजपा से कुछ सवाल भी किए, ‘क्या कांग्रेस और भाजपा दिल्ली के लिए मजबूत और स्वतंत्र जनलोकपाल का समर्थन करती है? यदि वे इसका समर्थन करती हैं तो वे विधानसभा में विधेयक को पेश करने और उस पर चर्चा होने की राह में तकनीकी अड़चनें क्यों लगा रही हैं? क्या दोनों पार्टियां दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में हैं ? यदि ऐसा है तो वे यह सुनिश्चित क्यों नहीं करती कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने वाला विधेयक पारित हो जाए?’
यह पूछे जाने पर कि यदि विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने जनलोकपाल विधेयक का समर्थन नहीं किया तो आप क्या करेगी, इस पर प्रशांत ने कहा कि ऐसा होने के बाद भविष्य की रणनीति पर फैसला किया जाएगा। प्रशांत ने यह दावा भी किया कि संविधान के अनुच्छेद 239 (ए) (ए) (3) के मुताबिक यदि विधानसभा द्वारा पारित किया गया कोई कानून राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित है और उसने राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल कर ली है तो वह कानून राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रभावी होगा। (एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Saturday, February 8, 2014, 22:29