Last Updated: Tuesday, January 7, 2014, 13:57
मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दावा किया है कि आदर्श जांच आयोग की रिपोर्ट में उनसे न्याय नहीं किया गया है और यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
अशोक चव्हाण के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि चव्हाण ने पत्र में आयोग के उनका पक्ष सुनने का जो भरोसा दिया था, उससे मुकरने पर आपत्ति जताई है। सूत्रों के अनुसार अशोक चव्हाण ने मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव जे एस सहारिया को लिखे पत्र में कहा कि यह रिपोर्ट बहुत ही खराब है और मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है। मुझे अभ्यारोपित करने से पहले आयोग ने मेरा पक्ष नहीं सुना। ऐसा इसके बावजूद हुआ कि उसके संज्ञान में यह बात लायी गई थी कि जब वह मेरे खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर रहा था, तो जांच आयोग की धारा आठ के तहत मेरा पक्ष सुना जाना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि संबंधित लोगों को इस बात की जानकारी थी कि यदि किसी जांच से किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव होने की संभावना है तो आयोग उसे अपना पक्ष रखने और अपने बचाव में सबूत रखने का उचित मौका देगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार पत्र पर ध्यान देगी। उन अधिकारियों के वर्ग ने भी अपना पक्ष रखा है जिन्हें जांच आयोग ने अभ्यारोपित किया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जबकि यह नहीं कहा जा सकता कि अशोक चव्हाण ने आम नागरिकों को आदर्श सोसाइटी का सदस्य बनने की इजाजत देकर आदर्श कोआपरेटिव हाउजिंग सोसाइटी का पक्ष लिया या उसे उपकृत किया, लेकिन फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) का हिसाब लगाते समय 15 प्रतिशत मनोरंजन जमीन की कटौती नहीं करने की उनकी मंजूरी को निर्दोष कृत्य नहीं कहा जा सकता। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 7, 2014, 13:57