जायदाद को लेकर बाल ठाकरे के बेटे उद्धव और जयदेव के बीच छिड़ी लड़ाई

जायदाद को लेकर बाल ठाकरे के बेटे उद्धव और जयदेव के बीच छिड़ी लड़ाई

जायदाद को लेकर बाल ठाकरे के बेटे उद्धव और जयदेव के बीच छिड़ी लड़ाईमुंबई : शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के बेटों उद्धव ठाकरे और जयदेव ठाकरे के बीच करोड़ों रुपए की पैतृक संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई छिड़ गई है। उद्धव ने अपने पिता की वसीयत को प्रोबेट कराने के लिए बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। बाल ठाकरे ने उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। बाल ठाकरे का निधन 17 नवंबर 2012 को हुआ था।

इस मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि उद्धव के भाई जयदेव ने इस वसीयत पर सवाल उठाए हैं जिसके कारण प्रोबेट याचिका को वसीयत याचिका में बदल दिया गया है। वसीयत के अनुसार जयदेव को जायदाद में कोई हिस्सा नहीं मिला है। इस मामले पर न्यायमूर्ति रोशन दल्वी के समक्ष 27 जनवरी को अदालत में सुनवाई होने की संभावना है। अदालत दोनों पक्षों से दस्तावेज़ों को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछ सकती है। प्रोबेट याचिका मृत व्यक्ति की वसीयत को अदालत द्वारा प्रमाणित कराने के लिए दायर की जाती है। बाल ठाकर ने जिस वसीयत पर हस्ताक्षर किए हैं, उसके अनुसार जायदाद में 14.85 करोड़ रपए की संपत्ति और बैंक में जमा राशि शामिल है। उद्धव की प्रोबेट याचिका के साथ वसीयत की प्रति लगाई गई है।

जयदेव ने एक हलफनामा दायर करके वसीयत की प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जायदाद घोषित मूल्य से कहीं अधिक है। उनके अनुसार बांद्रा स्थित ‘मातोश्री’ बंगले की कीमत ही 40 करोड़ रपए है। जयदेव का कहना है कि हालांकि वह कुछ वर्षों पहले अपने पिता से अलग हो गए थे ,लेकिन उनके आपसी संबंध अच्छे थे। उन्होंने कहा कि बाल ठाकरे ऐसी वसीयत पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते जिसमें परिवार की संपत्ति में उन्हें कोई हिस्सा नहीं दिया गया है।

जयदेव इस समय अपनी तीसरी पत्नी के साथ अलग रह रहे हैं। उनका अपनी पत्नी स्मिता से तलाक हो गया था और वह भी अलग रहती हैं। जयदेव की वकील सीमा सरनायक ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा है कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। वसीयत के अनुसार बाल ठाकरे ने अपने बंगले की पहली मंजिल अपने पोते ऐश्वर्य, जयदेव के बेटे और उनकी पत्नी स्मिता के नाम की है। दूसरी मंजिल उद्धव और उनके बेटों आदित्य और तेजस को दी गई है। भूतल और तीसरी मंजिल उद्धव के नाम की गई है।

वसीयत के अनुसार जयदेव और ठाकरे के सबसे बड़े बेटे बिंदुमाधव की पत्नी माधवी को कुछ नहीं दिया गया है। बिंदुमाधव की कुछ वर्षों पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। माधवी ने वसीयत की प्रमाणिकता पर सवाल नहीं उठाए हैं। ठाकरे ने शिवसेना के पूर्व सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता अधीक शिरोडकर, वकील अनिल परब, वास्तुकार शशि प्रभु और रवींद्र म्हात्रे को वसीयत का निष्पादक बनाया है। उनके निजी चिकित्सक डा. जलील पारकर साक्षी हैं जिनकी मौजूदगी में बाल ठाकरे ने वसीयत पर हस्ताक्षर किए थे। इन सभी ने मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। (एजेंसी)







First Published: Tuesday, January 21, 2014, 18:58

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