कई खेमो में बंट गया चन्द्रशेखर का परिवार

कई खेमो में बंट गया चन्द्रशेखर का परिवार

बलिया : ताउम्र समाजवादी सोच के अलम्बरदार रहे और अपनी बेबाक बोली तथा दमदार व्यक्तित्व से भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर का परिवार राजनैतिक रूप से अब कई खेमों में बंट गया है।

राजनैतिक प्रेक्षकों का मानना है कि बलिया निवासी चन्द्रशेखर के बड़े बेटे पंकज शेखर के कल भाजपा में शामिल होने के बाद इस परिवार में व्यक्तिगत संबंधों में तो तल्खी आ ही सकती है, इस आपसी फूट का लाभ विरोधी नेता भी उठा सकते है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री का कुनबा अलग अलग विचारधाराओं में बंट गया है।

भाजपा में शामिल होने वाले पंकज शेखर को लेकर काफी दिन से चर्चाओं का बाजार गर्म था। चन्द्रशेखर के निधन के बाद जब बलिया में वर्ष 2007 में उप चुनाव होने वाला था, तब भी पंकज के मैदान में उतरने को लेकर चर्चाएं जोरों पर थीं। हालांकि बाद में परिवार के लोगों के दबाव में पंकज मान गये थे तथा छोटे बेटे नीरज शेखर चुनाव लड़े थे।

राजनैतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के मुताबिक पंकज की नजर बलिया व सलेमपुर लोकसभा सीट पर है। बलिया चन्द्रशेखर की परम्परागत सीट रही है तो सलेमपुर क्षेत्र में इनका पैतृक घर इब्राहिम पट्टी पडता है। बलिया से सपा के बैनर तले नीरज एक बार फिर चुनाव मैदान में है। सपा इनकी उम्मीदवारी का ऐलान कर चुकी है।

सलेमपुर सीट पर चन्द्रशेखर के पौत्र एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। बसपा कोआर्डिनेटर विजय प्रताप गत 16 अगस्त को इनकी उम्मीदवारी का ऐलान यहां एक सम्मेलन में कर चुके हैं। भाजपा पंकज को अगर बलिया अथवा सलेमपुर से चुनाव मैदान में उतारती है तो परिवार के ही भाई अथवा भतीजे से उनका सामना होगा। बहरहाल, पंकज के भाजपा में शामिल होने के साथ ही कभी चन्द्रशेखर के साथ चट्टान की तरह रहने वाला परिवार राजनैतिक दृष्टि से कई खेमों में बंट गया है।

चन्द्रशेखर के बडे बेटे पंकज भाजपा में है तो छोटे बेटे नीरज सपा में है। भतीजा प्रवीण सिंह बब्बू कांग्रेस में हैं तथा पार्टी के टिकट पर बांसडीह से विधान सभा का चुनाव भी लड़ चुके है। एक अन्य भतीजा नवीन सिंह पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वी.के.सिंह के सहयोगी हैं। पौत्र रविशंकर सिंह पप्पू बसपा में है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 6, 2013, 14:26

comments powered by Disqus