Last Updated: Sunday, January 12, 2014, 15:28
नई दिल्ली : बिहार में गठबंधन के मुद्दे पर कांग्रेस असमंजस की स्थिति में है। हालांकि पार्टी के शीर्ष नेता पिछले सप्ताहों में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान के साथ बैठक कर चुके हैं। सू़त्रों ने कहा कि बिहार से पार्टी के बहुसंख्यक नेताओं का विचार है कि पार्टी को राजद के साथ गठबंधन करना चाहिए। लेकिन चारा घोटाले में लालू को दोषी ठहराये जाने के मद्देनजर राहुल गांधी के करीबी कुछ नेता कांग्रेस.राजद गठजोड़ को लेकर सशंकित हैं।
एक अन्य विचार यह है कि सांसदों को दोषी ठहराये जाने से संबंधित अध्यादेश को खारिज करने, आदर्श घोटाले की रिपोर्ट पर महाराष्ट्र सरकार के फैसले को नामंजूर करने और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती से लड़ने की प्रतिबद्धता के कारण कांग्रेस उपाध्यक्ष की भ्रष्टाचार विरोधी छवि बनी है और लालू की पार्टी से गठबंधन करने से इसे ठेस पहुंचेगी।
नेताओं का मानना है कि पिछले वर्ष जून में जदयू का भाजपा से गठबंधन टूट गया और पार्टी उनके साथ गठबंधन करके सहज स्थिति में रह सकती है। हालांकि कई नेता नीतीश कुमार के वोट आधार और उन वोटों को अपने पाले में लाने की क्षमता को लेकर आशंकित भी हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘‘ क्या होगा, अगर हम लोकसभा का चुनाव अपने दम पर लड़ते हैं।’’ इससे ऐसा संकेत मिलता है कि राहुल के ‘एकला चलो रे’ की मुहिम को खारिज नहीं किया गया है और यही कारण है कि कांग्रेस और राजद के बीच पिछले चुनाव में कोई गठबंधन नहीं हो पाया था। इस वर्ग का मानना है कि जब वर्ष 2009 में पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा था तब उसे दो सीटें मिली थी और गठबंधन करने के बाद उसे तीन या चार सीटें मिल सकती हैं लेकिन इससे हिन्दी पट्टी में पार्टी को मजबूत बनाने की दीर्घावधि योजना को धक्का पहुंचेगा।
कांग्रेस के कई नेताओं ने राज्य में पार्टी की खराब स्थिति के लिए कांग्रेस के राजद के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया था।पार्टी में एक मत यह भी है कि जदयू या राजद से गठजोड़ करने से अन्य दल विपक्ष की ओर चले जायेंगे चाहे भाजपा, तीसरा मोर्चा या कुछ उभरते नये मोर्चे हों। इस मत को मानने वाले सोचते हैं कि अगर कांग्रेस किसी के साथ गठजोड़ नहीं करती है तब वह चुनाव के बाद की परिस्थिति में लालू और नीतीश कुमार में से किसी से गठबंधन करने की बेहतर स्थिति में होगी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को पासवान से मुलाकात की थी । इससे पहले उन्होंने एक जनवरी को लालू प्रसाद से भेंट की। लालू बाद में राहुल से भी मिले थे। हालांकि इन बैठकों के बाद भी न तो लालू प्रसाद और न ही पासवान को गठबंधन के बारे में कोई स्पष्ट प्रतिबद्धता हासिल हो सकी। कांग्रेस नेतृत्व ने इन्हें संकेत दिया कि राज्य में किसी भी राजनीतिक गठजोड़ करते समय प्राथमिकता भाजपा को रोकने और धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाना सुनिश्चित करने पर होगी।
एक जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात के बाद लालू ने कहा था कि सोनिया ने उनसे कहा है कि वह गठबंधन के बारे में उनसे फिर मिलेंगी। लेकिन यह बैठक अभी तक नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तब लोजपा प्रमुख इस बार चुनाव में लालू प्रसाद से गठजोड़ करने को उत्सुक नहीं है और जदयू से संवाद बनाये हुए हैं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह सौदेबाजी का हथकंडा है क्योंकि राजद के कुछ नेता खुले तौर पर कह रहे हैं कि लोजपा को इस बार तीन.चार सीट से अधिक नहीं दी जानी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 12, 2014, 15:28