Last Updated: Wednesday, January 22, 2014, 23:46
नई दिल्ली : दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों ने उनके खातों की सरकारी लेखापरीक्षक कैग से ऑडिट कराने के राज्य सरकार के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इन कंपनियों की दलील है कि शीर्ष ऑडिटर को निजी क्षेत्र की कंपनियों के खातों की लेखापरीक्षा का अधिकार नहीं है।
अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनियों बीएसईएस राजधानी पावर लि. व बीएसईएस यमुना पावर लि. और टाटा पावर डिस्ट्रिब्यूशन लि. ने दिल्ली सरकार के 7 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कैग से उनके खातों का आडिट करने को कहा गया है। याचिकाकर्ताओं ने कैग कानून की धारा 20 का उल्लेख किया है। कंपनियों का कहना है कि कैग को किसी निजी कंपनी के खाते का ऑडिट करने का अधिकार नहीं है।
बीएसईएस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कैग कानून में संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत गठित निगमों के अलावा केवल निकाय या प्राधिकरणों की लेखापरीक्षा की बात है, जबकि दिल्ली डिस्कॉम कंपनियों का गठन कंपनी कानून, 1956 के तहत किया गया है। इन कंपनियों ने कैग के 2002 के उस पत्र का भी उल्लेख किया है जिसमें कहा गया है कि डिस्कॉम सरकारी इकाइयां नहीं हैं।
बीएसईएस प्रवक्ता ने बयान में कहा, हम कानून के दायरे में किसी तरह के स्वतंत्र आडिट का स्वागत करेंगे। कैग के पास दिल्ली डिस्कॉम के आडिट का अधिकार नहीं है। पिछले दस साल के दौरान पहले ही कैग के पैनल की आडिट कंपनियों द्वारा हमारा आडिट किया जा चुका है। नियामक डीईआरसी ने पहले की दिल्ली डिस्काम के कई विशेष आडिट किए हैं। कैग के प्रस्तावित ऑडिट की वैधता को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने 400 यूनिट तक की खपत पर बिजली दरों में 50 फीसद कटौती की है। सरकार ने वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए डिस्काम के खातों का कैग से आडिट कराने का आदेश दिया है। तत्कालीन दिल्ली सरकार ने 2002 में दिल्ली में बिजली वितरण निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला किया था। उसके बाद ये तीनों कंपनियों बिजली वितरण कर रही हैं। दिल्ली डिस्कॉम, निजी कंपनियों व दिल्ली सरकार की 51:49 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली संयुक्त उद्यम कंपनियां है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 22, 2014, 23:46