Last Updated: Monday, December 30, 2013, 20:32
नई दिल्ली : दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) को प्रदेश सरकार से बिजली दरों में कटौती करने का अभी कोई अनुरोध नहीं मिला है और अगर इस प्रकार का कोई प्रस्ताव आता है तो उसे मौजूदा दरों की समीक्षा के लिए कम-से-कम तीन महीने का समय लगेगा। शहर में बिजली दरों के बारे में निर्णय DERC करता है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपनी घोषणापत्र में बिजली दरों में 50 प्रतिशत तक कटौती करने का वादा किया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा था कि इस बारे में निर्णय चार-पांच दिन में किया जाएगा।
DERC के चेयरमैन पी डी सुधाकर ने कहा कि बिजली शुल्क मामले में सरकार ने अभी तक नियामक से संपर्क नहीं किया है। उन्होंने कहा, सरकार ने बिजली शुल्क मुद्दे पर DERC से संपर्क नहीं किया है। हम मौजूदा शुल्क ढांचे की समीक्षा नहीं कर रहे हैं। सुधाकर ने कहा कि मौजूदा शुल्क की समीक्षा के लिए कम-से-कम तीन महीने का समय लग सकता है क्योंकि नियामक को निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा जिसमें दरों के बारे में निर्णय करने से पहले जन सुनवाई के लिये सभी संबद्ध पक्षों को बुलाना शामिल हैं।
बिजली विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को बिजली दरों को घटाने के लिए सब्सिडी का रास्ता अपनाना होगा। अनुमानों के मुताबिक सरकार अगर करीब 40 लाख घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों को आधा करने का निर्णय करती है तो उसे सालाना करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेगा।DERC के आंकड़ों के अनुसार शहर में तीनों निजी वितरण कंपनियों की आय में अंतर 19,500 करोड़ रुपये है। बिजली विशेषज्ञों के अनुसार शुल्क दरों में किसी प्रकार की कटौती का बिजली वितरण कंपनियों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 30, 2013, 20:32