Last Updated: Wednesday, December 11, 2013, 15:07

नई दिल्ली : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के डौंडिया खेड़ा गांव में जो खुदाई की गयी थी उसमें भले ही कोई सोना नहीं निकला हो लेकिन कुछ ऐसे पुरावशेष निकले हैं जो ईसा पूर्व पहली शताब्दी के हैं।
संस्कृति मंत्री चन्द्रेश कुमारी कटोच ने डा. चंदन मित्रा के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को आज यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डौंडिया खेड़ा में किये गये परीक्षण उत्खनन पर कुल दो लाख 78 हजार 751 रूपये खर्च हुए।
उन्होंने बताया कि उत्खनन के दौरान विभिन्न स्तरों पर टेराकोटा के मनके, नुकीली हड्डियां, कांच की चूड़ियां, लोहे की कीलें, हापस्कॉच, पत्थर के शेर की टूटी हुई एक मूर्ति, जानवरों की हड्डियों के अलावा काली चित्रकारी वाले मिट्टी के बर्तन, काले और लाल बर्तन, उत्तरी क्षेत्र के काले चमकदार बर्तन मिले हैं। संस्कृति मंत्री ने कहा कि इन उत्खननों से यह प्रमाणित हुआ है कि इस स्थल से प्राप्त पुरावशेष पहली शताब्दी ईसा पूर्व के हैं।
उन्होंने कहा कि एएसआई द्वारा किया गया उत्खनन नियमित प्रकृति के कार्य का हिस्सा था लेकिन यह कवायद व्यर्थ नहीं थी। मंत्री ने कहा कि इस परीक्षण उत्खनन की स्वीकृति महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रदान की गयी थी।
संस्कृति मंत्री कटोच ने शांता कुमार के एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि एएसआई ने इस स्थल के बारे में पूर्ववर्ती रिपोर्ट में यथा उल्लेखित स्थल की संभाव्यता के आधार पर तथा भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा की गयी प्राथमिक जांच पड़ताल संबंधी रिपोर्ट को ध्यान में रखकर तथा इस स्थल के स्वरूप को समझने के लिए परीक्षण उत्खनन किया था। इस स्थल को 1860 में सातवीं शताब्दी की बसावटों के साथ खोजा गया था। उन्होंने कहा कि उत्खनन करना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक नियमित एवं सतत कार्य है। संस्कृति मंत्री ने मणिशंकर अय्यर के एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि उनके मंत्रालय को बेंगलूर में नेशनल साउंड आर्काइव आफ इंडिया की स्थापना के लिए विक्रम संपत की ओर से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। लिहाजा इस पर सरकार कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकती। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 11, 2013, 15:07