Last Updated: Sunday, January 5, 2014, 14:36
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में स्थापित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) के उन नियमों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है जिनके तहत बीए (एलएलबी) पाठ्यक्रम को आवासीय सुविधा आधारित बनाया गया है।
न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कानून के एक छात्र की दलील को खारिज कर दिया कि पांच साल तक विश्वविद्यालय परिसर में रहने की व्यवस्था न सिर्फ वित्तीय रूप से बोझिल है, बल्कि अवैध भी है तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आवासीय सुविधा आधारित बीए, एलएलबी (ऑनर्स) कार्यक्रम को अनिवार्य नहीं बनाया है।
विश्वविद्यालय के शुल्क को लेकर पीठ ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे पता चलता हो कि विश्वविद्यालय के स्थापित करने में आए खर्च के अनुरूप शुल्क नहीं लिया जा रहा है।
पीठ ने कहा, पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज और नये विश्वविद्यालय के बीच तुलना करना सेब और संतरे के बीच तुलना करने जैसा है। अदालत ने कहा कि आवासीय सुविधा आधारित विश्वविद्यालय की स्थापना में कोई कानूनी बाधा नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 5, 2014, 14:36