Last Updated: Monday, May 5, 2014, 21:43
मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को शिवसेना के दिवंगत प्रमुख बाल ठाकरे के अलग रह रहे बेटे जयदेव ठाकरे की एक याचिका खारिज कर दी जिसमें उनके पिता की संपत्तियों में हिस्सेदारी मांगी गई थी।
न्यायमूर्ति आरडी धनुका ने जयदेव की याचिका को ‘विचारणीय नहीं’ बताते हुए कहा कि इस अदालत की इस तरह के दावे को स्वीकार करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
इस मामले में, बाल ठाकरे के छोटे बेटे उद्धव ठाकरे ने उनके पिता की वसीयत को अदालत द्वारा प्रमाणित कराने के लिए याचिका दायर की है। जयदेव ने उद्धव की याचिका पर आपत्ति जताई और परिवार की संपत्ति से उन्हें बाहर करने पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने दावा किया कि बाल ठाकरे संपत्ति में हिस्सेदारी से उन्हें बाहर नहीं कर सकते।
हालांकि उच्च न्यायालय ने कहा कि जयदेव ने सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया और ‘कैविएट’ दायर कर दिया और इसे ‘लेटर्स आफ एडमिनिस्ट्रेशन’ के तौर पर माना जा सकता है। न्यायमूर्ति धनुका ने कहा कि जयदेव को ‘लेटर्स आफ एडमिनिस्ट्रेशन’ के लिए पृथक आवेदन या परिवार की संपत्ति के बंटवारे की मांग को लेकर अलग वाद दायर करना चाहिए था।
अदालत ने कहा कि संपत्ति में हिस्सेदारी के लिए उनकी वर्तमान याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि इस अदालत के पास इस तरह के दावों पर फैसला सुनाने की शक्ति नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Monday, May 5, 2014, 21:43