विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के विरोध में नीतीश ने थाली पीटी

विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के विरोध में नीतीश ने थाली पीटी

विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के विरोध में नीतीश ने थाली पीटीपटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र के सीमांध्र के तर्ज पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के विरोध में जदयू के रविवार को आयोजित आम हडताल की पूर्व संध्या पर देर शाम अपने आवास पर थाली पीटी।

केंद्र के सीमांध्र के तर्ज पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के विरोध में पटना के एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास परिसर में नीतीश ने जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों विजय कुमार चौधरी और श्याम रजक, सांसद आरसीपी सिंह सहित पार्टी के अन्य नेताओं तथा रघुराम राजन कमेटी के सदस्य एवं अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता के साथ शनिवार देर शाम सात बजे से 7.05 तक थाली पीटी और नारे लगाकर इसकी मांग की।

थाली पीटने के बाद मुख्यमंत्री ने अपने साथ थाली पीटने वालों के साथ बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना होगा और विशेष राज्य का दर्जा देने के नारे लगाए। बाद में नीतीश ने कहा कि विरोध इस बात का है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए इतने लंबे अभियान, सब जगह संकेत देने और संसद में इस बात की चर्चा करने तथा इसके लिए मापदंडों को बदलने की जरूरत है। रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद जो कार्रवाई हो रही थी उसे अचानक क्यों रोका गया।

नीतीश ने कहा कि इस बीच आंध्रप्रदेश के पुनर्गठन के तहत तेलंगाना के बनने के बाद शेष इलाके सीमांध्र को केंद्र ने 24 घंटे के भीतर विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा कर दिया तथा बिहार के मामले को क्यों रोक दिया गया।

नीतीश ने कहा कि सीमांध्र सहित अन्य राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिले इस पर बिहारवासियों को कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन एक तरफ केंद्र सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर 24 घंटों के भीतर निर्णय ले लेता और दूसरी तरफ वर्षों से बिहार को यह दर्जा दिए जाने की मांग, अभियान और उनके द्वारा इसे तार्किक ढंग से पेश किए जाने के बावजूद इसको ठंडे में डाल दिया गया, जो बिहार के साथ भेदभावपूर्ण है।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर बिहार में जदयू के रविवार को आयोजित आम हडताल की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि जब एक को 24 घंटे के भीतर यह दर्जा केंद्र दे सकता है और उसके पास अभी भी वक्त है और केंद्र अगले 24 घंटे के भीतर बिहार के बारे में निर्णय ले सकता है।

नीतीश से यह पूछे जाने पर कि केंद्र को क्या थाली की गूंज सुनायी देगी उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अगर जिन्हें सचमुच विश्वास और लोक भावना का सम्मान करते हैं और देश में समावेशी विकास की परिकल्पना को साकार करने का अगर इरादा है तो इसकी गूंज सुनाई देनी चाहिए क्योंकि बिहार को भी विकास करने का अधिकार उतना ही जरूरी है जितना अन्य के लिए आवश्यक है।

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा को भंग किए जाने की मांग को लेकर 1974 में संपूर्ण क्रांति के दौरान जेपी आंदोलन से जुडे लोगों ने थाली पीटी थी। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 1, 2014, 21:56

comments powered by Disqus