Last Updated: Tuesday, June 3, 2014, 19:56
नई दिल्ली : इसे दुखद संयोग कहें या कुछ और, लेकिन मुंडे -महाजन परिवार के लिए महीने का तीसरा दिन अशुभ जान पड़ता है। कार हादसे में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे के असामयिक निधन से यह बात सामने आयी है कि परिवार के तीन सदस्य और दोनों भाजपा नेताओं के एक करीबी महीने के तीसरे दिन ही काल के गाल में समा गए।
यह दुखद सिलसिला मुंडे के साले प्रमोद महाजन के निधन के साथ शुरू हुआ था। वर्ष 2006 में 3 मई को ही मुम्बई के एक अस्पताल में प्रमोद महाजन ने दम तोडा था। गोली लगने के बाद घायल प्रमोद महाजन को बचाने की डाक्टरों की लंबी कोशिश असफल रही थी।
प्रमोद महाजन को उनके भाई प्रवीण ने ही किसी बात पर विवाद के कारण 22 अप्रैल, 2006 को गोली मारी थी। वह 13 दिनों तक जीवन और मौत के बीच झूलते रहे।
प्रवीण ने चार गोलियां चलाई थीं, पहली गोली चूक गयी थी, तीन अन्य गोलियां उनके यकृत एवं अग्नाशय में लगी थीं। प्रवीण को मुम्बई की निचली अदालत ने वर्ष 2007 में उम्रकैद की सजा सुनायी थी।
इस घटना के एक महीने बाद 3 जून, 2006 को एक पार्टी के बाद प्रमोद के सहायक विवेक मोइत्रा दिल्ली में अपने सरकारी बंगले में मृत मिले और उनके बेटे राहुल बेहोश पाए गए थे। उस पार्टी में कथित रूप से शराब और मादक पदार्थ का सेवन किया गया था।
महीने का तीसरा दिन एक बार फिर मनहूस साबित हुआ जब 3 मार्च, 2010 को प्रवीण महाजन ठाणे के एक अस्पताल में चल बसे। मस्तिष्काघात के बाद अस्पताल में कई सप्ताह तक उनका इलाज चला था। मुंडे भी आज महीने के तीसरे दिन अस्पताल में इलाज के दौरान चल बसे। सड़क हादसे के बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 3, 2014, 19:56