Last Updated: Tuesday, March 11, 2014, 21:44

मुंबई : गुजरात पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति की ओर से दायर याचिका का विरोध करते हुए मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि इन दोनों लोगों ने 2002 के गोधरा दंगे के पीड़ितों के साथ धोखा किया और उनके नाम से पैसे एकत्र किए।
अहमदाबाद पुलिस के साइबर अपराध प्रकोष्ठ की ओर से उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में यह बात कही गई है। तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद ने याचिका दायर कर मांग की है कि गुजरात में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द की जाए। दोनों ने मुंबई में अपने ट्रस्ट के बैंक खातों पर रोक लगाने के पुलिस के कदम को भी चुनौती दी।
तीस्ता और जावेद ने कहा कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और वे राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें दंगों के षडयंत्रकारियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। न्यायमूर्ति एन एच पाटिल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष गुजरात पुलिस ने हलफनाम पेश किया। इसके बाद मामले की सुनवाई 20 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई।
गुलबर्ग सोसायटी के एक दंगा पीड़ित ने अहमदाबाद पुलिस के समक्ष तीस्ता, आनंद और उनके गैर सरकारी संगठनों सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस एवं सबरंग ट्रस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार आरोपी व्यक्तियों ने गुलबर्ग सोसायटी के एक हिस्से को संग्रहालय में बदलने के नाम पर कथित तौर पर 1.51 करोड़ रुपए एकत्र किए।
गुजरात पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि तीस्ता और जावेद ने सांप्रदायिक सद्भाव के नाम पर विदेशों से धन एकत्र किया तथा शिकायकर्ता एवं कई दूसरे लोगों को धोखा दिया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 11, 2014, 21:44