Last Updated: Friday, May 30, 2014, 16:13

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की करारी हार के बाद उत्तर प्रदेश में अचानक गहराया बिजली संकट राज्य सरकार के लिये मुसीबत बन गया है और चुनाव में अभूतपूर्व सफलता से बेहद उत्साहित भारतीय जनता पार्टी के बाद बहुजन समाज पार्टी की इसे ‘सियासी करंट’ में तब्दील करने की कोशिशों के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इससे निपटने के लिये खुद मैदान में आ गये हैं।
लोकसभा चुनाव में सपा के लिये निराशाजनक नतीजे आने के फौरन बाद उत्तर प्रदेश में अचानक शुरू हुई भीषण बिजली कटौती को जनता को परेशान करने का हथकंडा बताकर भाजपा जहां जगह-जगह प्रदर्शन करके इस मुद्दे को गर्म कर रही है, वहीं केन्द्रीय उर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने यह कहकर इसे और हवा दे दी है कि प्रदेश सरकार बहानेबाजी कर रही है। बिजली की कोई कमी नहीं है और वह चाहे तो चुनाव से पहले की ही तरह केन्द्र से बिजली खरीद सकती है। लोकसभा चुनाव में करारी हार के कारण तलाश रही सपा के लिये बिजली का ‘झटका’ और भी दुश्वारियां खड़ी कर रहा है।
इस बीच, लोकसभा चुनाव में सफाये की शिकार हुई बहुजन समाज पार्टी को भी इस जमे-जमाये मुद्दे में अपने लिये ‘करंट’ दिखने लगा है। शायद इसीलिये लखनउ में आज प्रेस कांफ्रेंस करके बिजली की इस जंग में कूदते हुए पार्टी प्रमुख मायावती ने भी सरकार पर बिजली की कृत्रिम किल्लत बनाकर जनता को परेशान करने का आरोप लगाया।
बिजली के मुद्दे पर जनता और विपक्ष से चौतरफा घिरने के बीच, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बिजली संकट को लेकर मची हाय तौबा को विपक्ष का ‘दुष्प्रचार’ बताते हुए इसके खिलाफ खुलकर मैदान में उतर आये हैं। उन्होंने केन्द्रीय उर्जा मंत्री गोयल के बयान पर पलटवार करते हुए कानपुर में कहा कि केन्द्र सरकार प्रदेश के बिजली संयंत्रों के लिये कोयला नहीं दे रही है। वह राज्य में कोयले की किल्लत से जूझ रहे बिजली संयंत्रों के लिये कोयला आपूर्ति की मांग के सिलसिले में केन्द्र को फौरन पत्र लिखेंगे।
अखिलेश ने बिजली खरीदने की गोयल की राय का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार स्वयं बिजली उत्पादन में पूरी तरह से सक्षम है लेकिन केन्द्र सरकार ने उसे कोयला नहीं दिया, इसीलिये बिजली उत्पादन के लिये विभिन्न कम्पनियों से नौ ‘एमओयू’ पर हस्ताक्षर होने के बावजूद बिजली उत्पादन नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि बिजली को लेकर जो राजनीति हो रही है, वह गलत है। प्रचंड गर्मी के बीच अघोषित विद्युत कटौती के खिलाफ जनता का गुस्सा प्रदेश के विभिन्न जिलों में सड़कों पर नजर आ रहा है। भाजपा ने भी कल कटौती के विरोध में लखनउ समेत करीब 30 जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी का आरोप है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार से बौखलायी सपा सरकार जनता के साथ बदले की भावना से काम करके जानबूझकर बिजली का संकट पैदा कर रही है। अगर स्थिति नहीं सुधरी तो उनकी पार्टी प्रदेश के हर जिले में जोरदार प्रदर्शन करेगी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, उनकी बहू डिम्पल तथा भतीजों धर्मेन्द्र और अक्षय यादव के निर्वाचन क्षेत्रों क्रमश: आजमगढ़, मैनपुरी, कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद को छोड़कर पूरे प्रदेश में बिजली की जबर्दस्त कटौती हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भी भीषण कटौती की जा रही है।
इस बीच, बिजली विभाग के सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में इस वक्त करीब 13 हजार मेगावाट बिजली की मांग है जबकि आपूर्ति मात्र 11 हजार मेगावाट की ही हो पा रही है। मांग और आपूर्ति में दो हजार मेगावाट से ज्यादा का अंतर आने की वजह से शहरों और गांवों में बिजली आपूर्ति का कार्यक्रम अव्यवस्थित हो गया है, नतीजतन कई जिलों में घोषित कटौती के अलावा छह से 14 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है।
बैठक में यह बात सामने आयी कि केन्द्रीय बिजलीघरों में उत्तर प्रदेश का आबंटित अंश 6002 मेगावाट है मगर उसे मात्र 4200 मेगावाट बिजली ही मिल रही है। इस तरह करीब 1800 मेगावाट बिजली उसे नहीं मिल रही है, जो सूबे में विद्युत संकट गहराने का बड़ा कारण है।
सूत्रों के मुताबिक समीक्षा बैठक में यह तथ्य सामने आया कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश को केन्द्रीय सेक्टर से 5200 मेगावाट बिजली मिल रही थी, लेकिन चुनाव के बाद केन्द्रीय सेक्टर से बिजली आपूर्ति में कमी होने से संकट उत्पन्न हो गया। उन्होंने बताया कि गैस आधारित बिजली परियोजनाओं में प्रदेश का कोटा 595 मेगावाट का है जिसके सापेक्ष उसे मात्र 98 मेगावाट बिजली मिल रही है, जबकि पिछले वर्ष उसे करीब 250 मेगावाट बिजली मिल रही थी। (एजेंसी)
First Published: Friday, May 30, 2014, 16:13