पति ने पक्का शौचालय बनवाया, तो ससुराल लौटी महिला

पति ने पक्का शौचालय बनवाया, तो ससुराल लौटी महिला

इंदौर: मध्यप्रदेश के देवास जिले में पक्के शौचालय के निर्माण ने एक परिवार को टूटने से बचा लिया। खुले में शौच की मजबूरी से होने वाली शर्मिंदगी और परेशानी के चलते अपने पति को छोड़कर पिछले दो साल से मायके में रह रही 27 वर्षीय दलित महिला आज ससुराल लौट गयी, जब उसके पति ने पक्का शौचालय बनवाने का अदालत में किया गया वादा पूरा कर दिया।

यहां से करीब 60 किलोमीटर दूर बागली के न्यायालय परिसर से सविता ने कहा कि मैं खुश हूं कि मेरे पति ने मेरी बात मानकर घर में पक्का शौचालय बनवा दिया। अब मैं अपने पति के साथ ससुराल लौट रही हूं।’ यह दलित महिला पांचवीं तक पढ़ी है और उसके दो बच्चे हैं। उसने बताया कि वह अपने पति देवकरण मालवीय के साथ पिछले दो साल से इसलिये नहीं रह रही थी, क्योंकि उसके ससुराल में पक्का शौचालय नहीं था और शौच के लिये खुले में जाना उसे बेहद नागवार गुजरता था।

सविता का ससुराल यहां से करीब 75 किलोमीटर दूर कोई 1,200 लोगों की आबादी वाले गांव मुंडलाआना में है। वह देवकरण के साथ करीब सात साल पहले विवाह के बंधन में बंधी थी। सविता का दो साल पहले पति से विवाद हुआ, तो वह अपने दोनों बच्चों के साथ मायके चली गयी। उसने भरण-पोषण का खर्च हासिल करने के लिये देवास जिले के बागली की अदालत में जून 2012 में अपने पति के खिलाफ मुकदमा भी दायर कर दिया।

बहरहाल, प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी जयंत शर्मा ने जब पति-पत्नी को समझाकर उनके बीच सुलह वार्ता करायी तो खुलासा हुआ कि इस दम्पति के बीच विवाद की जड़ कुछ और नहीं बल्कि उनके घर पक्के शौचालय का अभाव है। सुलह वार्ता के दौरान देवकरण अपनी पत्नी की इच्छा के मुताबिक अपने घर में पक्का शौचालय बनवाने को तैयार हो गया। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान 24 दिसंबर को इस वार्ता के आगे बढ़ने पर दोनों पक्षों के बीच आखिरकार यह सहमति बनी कि देवकरण आज यानी 10 जनवरी तक शौचालय का निर्माण कार्य पूरा करवायेगा और अपनी पत्नी को अदालत से ही अपने साथ घर ले जायेगा। (एजेंसी)

First Published: Friday, January 10, 2014, 18:24

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