Last Updated: Sunday, February 16, 2014, 21:25
वैदिक-काल से ही इस देश में पशुओं को धन की श्रेणी में रखा जाता रहा है, फिर वह चाहे दुधारू पशु रहे हों या ऐसे जिनसे मानव जीवन कोई लाभ नहीं उठा सकता। लेकिन आज के हालात पर आप गौर करेंगे तो पता चलेगा कि गोधन-पशुधन की परिकल्पना को आत्मसात करने वाला देश, पशुओं के प्रति संवेदनहीनता और क्रूरता की पराकाष्ठा पर पहुंच चुका है।