`भारत-चीन संबंधों में रुकावट के लिए लोकतंत्र बहाना नहीं`। `democracy not an excuse in the interrupted of India-China relations`

`भारत-चीन संबंधों में रुकावट के लिए लोकतंत्र बहाना नहीं`

बीजिंग : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हालिया चीन यात्रा पर पहली टिप्पणी में चीन के एक सरकारी थिंक टैंक ने मंगलवार को कहा कि भारत को ‘घरेलू बाधाओं’ और ‘राजनीतिक अवरोधकों’ से पार पाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि चीन के साथ संबंधों के विकास में उसका लोकतंत्र बाधक न बने।

शंघाई इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल स्ट्डीज के रिसर्च फेलो लियू जिंग्यी द्वारा लिखे एक लेख में कहा गया है कि अमेरिका, चीन असैन्य परमाणु करार के आकार लेने के बाद भारतीय मीडिया ने भारत और चीन के बीच हस्ताक्षरित सीमा रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर होने को सबसे अधिक सराहा।

चीन की अपनी हालिया यात्रा के दौरान सिंह ने चीन के साथ कारोबार में व्यापार असंतुलन और चीन-पाकिस्तान संबंधों का मामला भी उठाया था। वास्तविक आर्थिक विकल्पों की राह में दिल्ली की घरेलू बाधाएं’’ शीर्षक वाले लेख में यह बात कही गई है। ग्लोबल टाइम्स ने आज यह लेख प्रकाशित किया है। लेख में कहा गया है कि भारत में औद्योगिक पार्क स्थापित करने की चीन की योजना, बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार आर्थिक कोरिडोर की उसकी योजना पूरी नहीं हो पाई है।

लेख में कहा गया है कि भारत के कुछ आंतरिक तत्व हैं जो चीन के साथ उसके आर्थिक संबंधों को गति देने की राह में बाधा हैं और इन बाधाओं में ‘विपक्षी दलों का विरोध, विदेशी पूंजी के प्रति जनता का प्रतिरोध, पुराने पड़ चुके श्रम कानून संस्थान और हित समूहों की मौजूदगी प्रमुख है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 29, 2013, 15:54

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