Last Updated: Friday, November 15, 2013, 13:33

कोलंबो : लिट्टे के खिलाफ श्रीलंका की जंग में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को राष्ट्रमंडल के देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में चर्चा में लाने की ब्रिटेन और कनाडा जैसे कुछ देशों की कोशिशों के बीच मेजबान श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा कि वे राष्ट्रमंडल को ‘सजा देने वाले और फैसला सुनाने वाले’ निकाय में नहीं बदलें और द्विपक्षीय एजेंडा से परहेज करें।
22वीं चोगम शिखर बैठक में शासनाध्यक्षों और विदेश मंत्रियों का स्वागत करते हए राजपक्षे ने ‘30 वर्ष के आतंक’ के खिलाफ जंग में अपने देश की जीत और द्वीप में ‘शांति’ की वापसी पर एक आक्रामक भाषण देते हुए आर्थिक विकास और गरीबी के खात्मे जैसे मुद्दों पर राष्ट्रमंडल के साथ रचनात्मक सहयोग की अपील की।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने 53 देशों के समूह की शिखर बैठक में अपनी शुरूआती टिप्पणियों में कहा, ‘राष्ट्रमंडल को आदेशात्मक एवं विभाजनकारी तौर-तरीकों में संलग्न होने के बजाय सहयोगात्मक एकता में शिरकत का एक सच्चा और अनूठा संगठन बनाएं।’
तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों के कड़े विरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शिरकत करने की अपनी योजना रद्द कर दी और भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद कर रहे हैं। खुर्शीद और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन दोनों ने उत्तरी जाफना प्रांत की यात्रा करने और मानवाधिकार मुद्दों पर कुछ कठोर सवाल पेश करने की योजना बनाई है। दोनों उद्घाटन समारोह में मौजूद थे।
कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के संसदीय सचिव एवं प्रतिनिधि दीपक ओभ्राय और मारिशस के विदेश मंत्री अरूण बुलेल भी वहां मौजूद थे। हार्पर और मारिशस के प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम ने श्रीलंका के खराब मानवाधिकार रेकॉर्ड के मुद्दे पर शिखर सम्मेल के बहिष्कार का फैसला किया है। मारिशस अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 15, 2013, 12:46