भारत के इंटरसेप्टर मिसाइल के सफल परीक्षण पर चीन की मिली जुली प्रतिक्रिया

भारत के इंटरसेप्टर मिसाइल के सफल परीक्षण पर चीन की मिली जुली प्रतिक्रिया

बीजिंग : अधिक उंचाई पर दुश्मन के मिसाइल को बीच में मार गिराने के भारत के सफल परीक्षण पर चीनी सेना और सामरिक विशेषज्ञों ने मिली जुली प्रतिक्रिया जाहिर की है, जिनका मानना है कि ‘एंटी बैलेस्टिक मिसाइल’ प्रौद्योगिकी में भारत की तरक्की सामरिक प्रतिरोध को लक्षित है। एयरोस्पेस नॉलेज पत्रिका के वरिष्ठ संपादक वांग यानान ने चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को बताया कि वायुमंडल के बाहर निशाने को भेदने के लिए रविवार को किए गए एंटी मिसाइल परीक्षण ‘सामरिक प्रतिरोध’ के प्रति कहीं अधिक लक्षित है क्योंकि यह प्रौद्योगिकी इसके दुश्मनों को उनकी मिसाइलों की हमलावर शक्ति में कमी महसूस कराएगी।

भारतीय इंटरसेप्टर मिसाइल व्हीलर द्वीप पर प्रक्षेपण परिसर 4 से परीक्षण के लिए दागी गई थी। इससे महज एक मिनट पहले ही पाराद्वीप तट से करीब 70 किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित एक जहाज से एक मिसाइल (जिसे निशाना बनाया जाना था) दागी गई थी। दरअसल, भारत द्विस्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है जो पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर से आने वाली मिसाइल को नष्ट कर देगा और यदि यह नाकाम रहता है तो इसे वायुमंडल के अंदर रोक दिया जाएगा। भारतीय मिसाइल वायुमंडल के बाहर से करीब 2,000 किलोमीटर की मारक दूरी के साथ आने वाली मिसाइल को नष्ट करने में सक्षम है।

हालांकि, कुछ चीनी सैन्य विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि भारत ने मिसाइल इंटरसेप्टर प्रौद्योगिकी में प्रगति की है जबकि कुछ अन्य ने ताजा परीक्षण के महत्व पर संदेह जारी किया है। अखबार ने एक अज्ञात चीनी मिसाइल विशेषज्ञ के हवाले से बताया कि यह निष्कर्ष निकालना मुश्किल है कि भारत की एंटी मिसाइल प्रौद्योगिकी एक निश्चित स्तर तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि चीन ने तुलनात्मक रूप से परिपक्व एंटी बैलेस्टिक मिसाइल क्षमता विकसित की है जो रूसी एस 300 प्रणाली पर आधारित है और वह मुकाबला करने के लिए तैयार है जबकि भारत अभी भी परीक्षण ही कर रहा है।

(एजेंसी)

First Published: Tuesday, April 29, 2014, 23:37

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