Last Updated: Friday, January 17, 2014, 15:19
तोक्यो : द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल रहे उस जापानी सैनिक का तोक्यो में निधन हो गया, जो तीन दशक तक फिलीपीन के जंगलों में ही छिपा रहा था। यह सैनिक दूसरे विश्वयुद्ध के खत्म हो जाने की बात तब तक मानने के लिए तैयार नहीं था जब तक उसके पूर्व कमांडर ने लौटकर उसे आत्मसमर्पण कर देने के लिए मना नहीं लिया। निधन के समय इस सैनिक की उम्र 91 वर्ष थी।
हीरू ओनोडा लुजोन के पास स्थित लुबांग द्वीप में तब तक गुरिल्ला अभियान पर रहे जब तक उन्हें 1974 में इस बात के लिए मना नहीं लिया गया कि शांति स्थापित हो चुकी है। इंपीरियल सेना के हारने की बात उन्हें समझाने के लिए पर्चे गिराने समेत कई उपाय किए गए लेकिन वे विफल रहे। जब उनके पूर्व कमांडिंग अधिकारी ने उनके पास जाकर उनके हथियार नीचे रखने के आदेश दिया, तब जाकर इस एक व्यक्ति युद्ध को खत्म किया जा सका।
एक सूचना अधिकारी और गुरिल्ला नीतियों के प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षित ओनोडा को 1944 में लुबांग में तैनात किया गया था और उन्हें आदेश दिए गए थे कि उन्हें कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करना है, आत्मघाती हमला नहीं करना है और तब तक डटे रहना जब तक मदद के लिए नई सेना नहीं आ जाती। ओनोडा और तीन अन्य सैनिक जापान की 1945 में हुई हार के बाद भी इस आदेश का पालन करते रहे थे। इनके बारे में पता तब चला जब 1950 में उनमें से एक जापान लौटकर आया। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 17, 2014, 15:19