26/11 मुंबई आतंकी हमला: पाकिस्तानी आरोपियों ने रखे नए वकील

26/11 मुंबई आतंकी हमला: पाकिस्तानी आरोपियों ने रखे नए वकील

इस्लामाबाद/लाहौर : मुंबई हमला मामले में सात पाकिस्तानी आरोपियों ने अपने मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए दो नये वकील रखे हैं। आरोपियों में लश्कर ए तैयबा कमांडर जकीउर रहमान लखवी भी शामिल है। आरोपियों ने इस्लामाबाद के वकील जाहिद हुसैन तिरमीजी और राजा रिजवान अब्बासी को अदालत में अपना बचाव करने के लिए रखा है जो इस्लामाबाद में आतंकवाद रोधी अदालत में चल रही सुनवाई में उनकी पैरवी करेंगे।

गौरतलब है कि उनसे पहले के वकीलों ने निजी कारणों का हवाला देते हुए खुद को मामले से अलग कर लिया था। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमले में कथित भूमिका निभाने को लेकर लखवी, अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हम्माद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनुस अंजुम को जुलाई 2009 में गिरफ्तार किया गया था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे।

अब्बासी ने इन बातों को खारिज कर दिया कि मामले में अब और अधिक देर होगी। अब्बासी ने कहा, हमारी ओर से देर होने का कोई सवाल ही नहीं है। हमारे मुवक्किल पांच साल से हिरासत में हैं और हम मामले की सुनवाई में तेजी लाना चाहते हैं। मामले की अगली सुनवाई हमले की पांचवी बरसी के एक दिन बाद 27 नवंबर को होनी है। मामले के विशेष सरकारी वकील चौधरी मोहम्मद अजहर ने भी कहा कि मामले में और देर नहीं होगी। उन्होंने कहा, और देर होने का कोई सवाल ही नहीं है। मामला आगे बढ़ेगा। बचाव पक्ष के नये वकील रख लिए गए हैं।

इस मामले से जुड़े दो पुराने वकीलों ख्वाजा हरीस और रियाज अकरम चीमा ने कल खुद को इससे अलग कर लिया था। चीमा उस पाकिस्तानी न्यायिक आयोग का भी हिस्सा थे जिसने हाल ही में भारत का दौरा किया था।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें आरोपियों ने हटा दिया, उन्होंने कहा, जकीउर रहमान लखवी और अन्य ने मुझे इस मामले से खुद को अलग करने के फैसले की समीक्षा करने को कहा था। उन्होंने बताया, जो लोग यह कह रहे हैं कि मामले में देर होने के चलते आरोपियों ने वकील बदल लिए, वो सही नहीं हैं। हमने निचली अदालत में एक याचिका दायर कर मामले के शीघ्र निपटारे के लिए रोजाना आधार पर सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि आतंकवाद रोधी अधिनियम के तहत आरोपियों के अध्यारोपण के बावजूद देर हुई। कानून के मुताबिक यह अनिवार्य है कि मामले बिना विलंब के निपटाए जाएं।

मुकदमे की धीमी गति पर भारत पहले ही अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। पाकिस्तान में नियुक्त भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने यहां तक कह दिया कि सुनवाई ठंडे बस्ते में चली गई है। इन सात पाकिस्तानी संदिग्धों पर हमले की साजिश रचने, वित्तपोषण करने और हमले को अंजाम देने का आरोप है। पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि हमले की साजिश उसकी सरजमीं पर रची गई। (एजेंसी)

First Published: Sunday, November 24, 2013, 20:41

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