Last Updated: Wednesday, January 29, 2014, 14:22
संयुक्त राष्ट्र : भारत में अमीरों और गरीबों के बीच शैक्षणिक स्तर पर मौजूद निराशा को दर्शाने वाली संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का कहना है कि भारत में निरक्षर वयस्कों की संख्या सबसे ज्यादा यानी 28.70 करोड़ है और यह संख्या वैश्विक संख्या का 37 प्रतिशत है।
2013-14 एजुकेशन फॉर ऑल ग्लोबल मॉनिटरिंग रिपोर्ट ने कहा कि भारत की साक्षरता दर वर्ष 1991 के 48 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2006 में 63 प्रतिशत हो गई। लेकिन जनसंख्या में वृद्धि की तुलना में यह लाभ नगण्य रहा। इसलिए निरक्षर व्यस्कों की संख्या में कोई कमी नहीं आई।
यूनेस्को द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया कि निरक्षर व्यस्कों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है। यह संख्या 28.70 करोड़ है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत की सबसे अमीर युवतियों को सार्वभौमिक साक्षरता मिल चुकी है लेकिन निर्धनतम युवतियों के लिए ऐसा 2080 तक ही संभव है। भारत में मौजूद ये निराशाजनक स्थितियां यह विफलता दर्शाती हैं कि सबसे ज्यादा जरूरतमंदों तक पर्याप्त सहयोग नहीं पहुंचा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि 2015 के बाद के लक्ष्यों में एक प्रतिबद्धता जरूरी है ताकि सबसे ज्यादा पिछड़े समूह तय लक्ष्यों के मापदंडों पर खरे उतर सकें। इसमें विफलता का अर्थ यह हो सकता है कि प्रगति का पैमाना आज भी संपन्न को सबसे ज्यादा लाभ पहुंचाने पर आधारित है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 29, 2014, 14:22