Last Updated: Saturday, April 26, 2014, 18:13
काठमांडो : नेपाल की संसद ने करीब एक दशक तक चले माओवादी अलगाववाद के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों से निपटने के लिए आयोग गठित करने से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी।
माओवादी अलगाववाद के दौरान करीब 16 हजार लोग मारे गए थे। नेपाली संसद के सूत्रों ने कहा कि संसद ने सचाई एवं मेलमिलाप आयोग और लापता मामलों की जांच संबंधी आयोग विधेयक को बहुमत के वोट के आधार पर मंजूरी दे दी। यह मूल विधेयक में कुछ संशोधनों के बाद पेश किया गया था।
इसमें संघर्ष वाले इलाकों में मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित गंभीर मामलों से निपटने के लिए विशेष अदालत स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। काठमांडो पोस्ट ने विधि मंत्री नरहरि आचार्य के हवाले से कहा, ‘हमने विधेयक की विषयवस्तु को पुख्ता करने वाले संशोधन प्रस्तावों को आगे बढ़ाया है।’ इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद उस बहुचर्चित आयोग के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है जो एक दशक तक चले माओवादी अलगाववाद के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों से निपटेगा।
सरकार और सीपीएन माओवादी ने 21 नवंबर 2006 को समग्र शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए थे। विधेयक को मंजूरी सशस्त्र संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है जिसमें करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई। इस विधेयक में नेपाली कांग्रेस, सीपीएन यूएमएल और यूसीपीएन माओवादी दलों की मांगों के अनुरूप कुछ संशोधन किये गए।
विधेयक में टीआरसी की ओर से भेजे गए मामलों के संबंध में सरकारी अटर्नी के लिए मामला दर्ज करना जरूरी बनाया गया है। इसमें पीड़ित परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर क्षतिपूर्ण की बात भी कही गई है। यह विधेयक सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस गठबंधन और विपक्षी यूसीपीएन माओवादी के बीच महत्वपूर्ण विवाद का विषय बना हुआ था। सरकार के आश्वासन के बाद मधेशी दलों ने अपना संशोधन प्रस्ताव वापस ले लिया था। (एजेंसी)
First Published: Saturday, April 26, 2014, 18:13