Last Updated: Friday, March 21, 2014, 19:17

पर्थ/कुआलालंपुर : ऐसा लगता है कि दो हफ्ते पहले रहस्यमय तरीके से लापता हुए मलेशियाई विमान का मलबा दक्षिण हिंद महासागर के सुदूरवर्ती हिस्से में डूब गया होगा क्योंकि बहुराष्ट्रीय टीम उसका पता लगा पाने में नाकाम रही हैं। इसके साथ ही विमान को ढूंढ निकालने में सफलता मिलने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
मलेशियाई एयरलाइंस उड़ान एमएच 370 को ढूंढने के काम में पांच टोही विमानों और एक जहाज को लगाया गया था। विमान में 239 यात्री सवार थे।
दरअसल, उपग्रह से मिली तस्वीरों में पर्थ के दक्षिण पश्चिम में करीब 2,500 किलोमीटर दूर दो बड़ी वस्तुएं देखी गई थी। लेकिन वहां तलाशी में कुछ नहीं मिला।
आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने पापुआ न्यू गिनी में कहा, ‘यह सर्वाधिक दुर्गम स्थान है जिसकी आप पृथ्वी पर कल्पना कर सकते हैं, लेकिन यदि वहां नीचे कुछ है तो हम उसे ढूंढ निकालेंगे।’ उन्होंने कहा कि फिलहाल यह सिर्फ एक कंटेनर हो सकता है जो किसी जहाज से गिरा होगा। अभी कुछ नहीं मालूम, लेकिन हम यात्रियों के परिजनों और दोस्तों तथा उनके अपनों से इस पहेली को सुलझाने में सब कुछ करने की कोशिश करने का वादा करते हैं।
बीजिंग जा रहा बोइंग 777-200 विमान 8 मार्च को मलेशियाई समुद्र तट पर लापता हो गया था। इसमें पांच भारतीय और भारतीय मूल का एक कनाडाई नागरिक सहित 239 लोग सवार थे। उस वक्त से जांचकर्ता इसके नष्ट होने, हाईजैक होने, आतंकवादी कार्रवाई जैसे कई पहलुओं पर काम कर रहे हैं। पर, अभी तक इस रहस्य को सुलझाने में मददगार साबित होने वाला कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है।
आस्ट्रेलिया उप प्रधानमंत्री वारेन ट्रस ने कहा, ‘मेरे पास जो आखिरी रिपोर्ट है वह आज की तलाशी के बारे में कुछ खास नहीं है लेकिन काम चालू रहेगा।’ ट्रस ने कहा कि खराब मौसम के चलते और तस्वीरों के पांच दिन पुरानी होने के चलते तलाशी में मुश्किल आई।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए काफी समय पहले समुद्र में तैर रही कोई वस्तु अब तक नहीं तैर रही होगी..यह सतह पर चली गई होगी। यह भी हो सकता है कि कोई मलबा या अन्य वस्तु इतने समय में सैकड़ों किलोमीटर दूर बह गई होगी। तलाशी टीम में 26 देश शामिल हैं जो विमान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यह विमान कुआलालंपुर से उड़ान भरने के एक घंटे बाद लापता हो गया था।
दक्षिणी हिंद महासागर में 24 मीटर और पांच मीटर लंबी दो वस्तुएं तैरती हुई देखी गई थी जिन्हें अब तक का सर्वश्रेष्ठ सुराग माना गया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 21, 2014, 19:17