UNSC ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले की निंदा की

UNSC ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले की निंदा की

UNSC ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले की निंदा कीसंयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की एक सुर में कड़े शब्दों में निंदा की और साजिशकर्ताओं तथा उनके आकाओं को निंदनीय कृत्यों के लिए न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत को रेखांकित किया।

पन्द्रह शक्तिशाली देशों की इस परिषद ने कल यहां एक बयान जारी करके कहा, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर 23 मई को हुए हमले की कड़ी निंदा की।

बयान में कहा गया कि सुरक्षा परिषद राजनयिक एवं वाणिज्य दूतावास के प्रतिनिधियों के खिलाफ हिंसा की कार्रवाई की निंदा करता है जिससे निर्दोष जिंदगी को खतरे में डाला या उसे छीन लिया तथा इन प्रतिनिधियों तथा अधिकारियों के सामान्य कामकाज को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
बयान में कहा गया कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवाद के इन निंदनीय कृत्यों के साजिशकर्ताओं, आकाओं और वित्तीय मदद देने वालों को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत को रेखांकित किया और सभी राष्ट्रों से अंतरराष्ट्रीय कानून तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करते हुए इस संबंध में अफगान अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने का अनुरोध किया। परिषद द्वारा सर्वसम्मति से दिये गये बयान में कहा गया कि परिषद के स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका मजबूत समर्थन के लिए भारत के साथ हैं।

चीन के अलावा, अस्थायी सदस्यों आस्ट्रेलिया और नाइजीरिया ने विशेष रूप से भारत का समर्थन और उसके साथ खड़े होने की बात कही। यह बयान कानूनी रूप से बाध्य नहीं है लेकिन यह संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था की चिंता को दर्शाता है। सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बल की उनके असरदार प्रयासों के लिए तारीफ की।

उन्होंने हालिया आतंकी हमलों के आलोक में तालिबान, अलकायदा और अन्य आतंकवादी तथा चरमपंथी संगठनों और गैरकानूनी सशस्त्र संगठनों से अफगानिस्तान के स्थानीय लोगों, राष्ट्रीय सुरक्षा बलों, अंतरराष्ट्रीय सेना और अंतरराष्ट्रीय सहायता प्रयासों से पैदा खतरों पर गंभीर चिंता जताई।

परिषद के सदस्यों ने दोहराया कि आतंकवाद हर रूप में अपराध और अतार्किक है फिर चाहे इसके लिए मंशा कुछ भी हो और यह चाहे कहीं भी या किसी के भी द्वारा किया गया हो। सदस्यों ने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

(एजेंसी)

First Published: Saturday, May 24, 2014, 11:40

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