Last Updated: Saturday, March 15, 2014, 11:27
ज़ी मीडिया ब्यूरोन्यूयॉर्क : भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में वीजा धोखाधड़ी, गलतबयानी एवं अपनी घरेलू नौकरानी को उचित से कम मेहनताना देने के मामले में गरफ्तारी वारंट जारी किया है। देवयानी के खिलाफ नए सिरे से केस चलाने की अर्जी को मंजूरी दे दी गई है। देवयानी की गिरफ्तारी और कपड़े उतारकर उनकी तलाशी लिए जाने के बाद भारत-अमेरिका के रिश्तों में खटास आ गयी थी।
देवयानी खोबरागड़े (39) को 12 दिसंबर को न्यूयॉर्क में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से उन्हें नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया है। अगर वह अमेरिका जाती हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। उनके पति और बच्चे अमेरिका में ही हैं।
इक्कीस पृष्ठों के नए अभियोग के बाद अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भरारा ने अमेरिकी जिला न्यायाधीश विलियम पौले को लिखे पत्र में कहा कि आज राजनयिक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया। उन्होंने कहा कि प्रतिवादी के गिरफ्तार होने पर सरकार तत्काल ही अदालत को सूचित करेगी ताकि न्यायाधीश के समक्ष पेशी तय की जा सके।
इन नए आरोपों से दो दिन पहले बुधवार को ही अमेरिका की एक अदालत ने पहले के अभियोग को खारिज कर दिया था। पहले वाले अभियोग में देवयानी पर वीजा धोखाधड़ी और नौकरानी संगीता रिचर्ड के लिए वीजा हासिल करने के लिए गलत जानकारी देने के आरोप लगाए गए थे।
अभियोग में कहा गया है कि देवयानी ने अपनी नौकरानी के लिए वीजा हासिल करने के लिए जानबूझकर कई गलत सूचनाएं अमेरिकी अधिकारियों को दीं। मैनहट्टन अदालत में दायर नए अभियोग में ये आरोप भी लगाए गए हैं कि देवयानी ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय में अपनी नौकरानी का जो रोजगार अनुबंध जमा किया था उसमें गलत एवं फर्जी बयान शामिल थे जिसका देवयानी को पता था।
अभियोग में कहा गया कि खोबरागड़े अमेरिकी कानून के तहत पीड़िता को जरूरी वेतन या अमेरिकी कानून के तहत कामकाज की शोषण से भरी स्थितियों के खिलाफ पीड़िता को संरक्षण नहीं देना चाहती थीं।’’ अभियोग के अनुसार, देवयानी जानती थीं कि अगर पीड़िता के साथ उनके रोजगार अनुबंध की असली शर्तों के बारे में अमेरिकी अधिकारियों को पता चला तो उन्हें नौकरानी के लिए वीजा नहीं मिलता, इस वजह से उन्होंने गलत जानकारी दी।
देवयानी को वीजा धोखाधड़ी और अपनी नौकरानी के वीजा आवेदन को लेकर गलत बयान के आरोपों के चलते गिरफ्तार किया गया था। कपड़े उतरवाकर उनकी तलाशी ली गयी थी और उन्हें अपराधियों के साथ रखा गया था। इस मामले को लेकर अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक विवाद गहरा गया था और प्रतिक्रियास्वरूप भारत ने विशेष श्रेणी के अमेरिकी राजनयिकों को मिलने वाले विशेषाधिकार कम कर दिए थे।
देवयानी ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज किया है। अभियोग में उस रोजगार अनुबंध की विस्तृत जानकारी दी गई है, जो देवयानी ने अपनी नौकरानी के साथ किया था। इसमें कहा गया कि राजनयिक ने अवैध रूप से पीड़िता को कम वेतन दिया और उसका शोषण किया। इसमें कहा गया कि उसने रिचर्ड का पासपोर्ट अपने पास रख लिया और उसे कहा कि यह उसे तभी लौटाया जाएगा जब उसका तीन साल का अनुबंध पूरा हो जाएगा।
इसमें यह भी कहा गया देवयानी खोबरागड़े और अन्य ने पीड़िता और उसके परिवार को चुप रखने और डराने के लिए प्रयास तेज किए। और भारतीय अधिकारियों एवं अदालतों के समक्ष झूठ बोला। भरारा ने साक्ष्यों के रूप में उस रोजगार अनुबंध की प्रति जमा कराई है, जो देवयानी और रिचर्ड के बीच हुआ था। इसमें कहा गया था कि रिचर्ड को 9.75 डॉलर प्रति घंटा की दर से वेतन दिया जाएगा और उसे एक सप्ताह में 40 घंटे काम करना होगा।
भरारा ने भारत में दायर प्राथमिकी की एक प्रति भी जमा कराई, जिसमें देवयानी ने कहा कि वह रिचर्ड को प्रति माह 30 हजार रूपए वेतन देने के लिए तैयार हुई थीं। यह बात अमेरिकी अधिकारियों को बताई गई बात के विपरीत थी।
वकीलों के अनुसार, देवयानी ने दावा किया था कि उसने इस महिला को प्रतिमाह 4500 डॉलर दिए लेकिन असल में उसने महिला को प्रति घंटे तीन डॉलर दिए थे। और उससे ज्यादा घंटे काम करवाया था। अभियोग में कहा गया कि देवयानी यह जानती थीं कि रिचर्ड और उनके बीच हुआ अनुबंध अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन है। इसलिए उन्ने एक झूठा रोजगार अनुबंध तैयार किया और उसे क्रियान्वित किया।
इसमें कहा गया, यह अनुबंध अकेले खोबरागड़े ने तैयार किया ताकि पीड़िता के वीजा साक्षात्कार के दौरान अमेरिकी दूतावास को धोखा दिया जा सके। रोजगार अनुबंध में झूठे बयान थे जिनमें ऐसा दिखाया गया था कि राजनयिक और रिचर्ड के बीच हुआ अनुबंध अमेरिकी कानूनों के अनुरूप था।यह नया अभियोग देवयानी को अमेरिकी जिला न्यायाधीश शीरा शीनड्लिन की अदालत से राहत मिलने के बाद लाया गया है। उनकी अदालत ने बुधवार को राजनयिक छूट के आधार पर पूर्व अभियोग को खारिज कर दिया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि पहले के अभियोग के आधार पर कोई भी गिरफ्तारी वारंट निष्प्रभावी कर दिया जाना चाहिए।
हालांकि शीनड्लिन के आदेश में संघीय अभियोजकों को पूर्व उप महावाणिज्य दूत के खिलाफ भविष्य में नए आरोप लाने से रोका नहीं गया। भरारा ने कहा कि नए अभियोग में देवयानी पर वीजा धोखाधड़ी और झूठी बयानबाजी के आरोप लगाए गए हैं। पिछले अभियोग को खारिज किए जाने पर खुशी जताने वाले देवयानी के वकील डेनियल अर्शेक ने कोई टिप्पणी नहीं की। भरारा के कार्यालय ने कहा कि नए अभियोग पर उसके पास कोई अतिरिक्त बयान नहीं है।
अभियोग में कहा गया, अमेरिकी नियमों के अनुरूप एक झूठा रोजगार अनुबंध तैयार करने का खोबरागड़े का फैसला दिखाता है कि उसे कानूनी अहर्ताओं की पूरी जानकारी थी। काम के लंबे घंटों और काम की कठिन स्थितियों की कई बार शिकायत करने के बाद रिचर्ड जून 2013 को देवयानी के मैनहट्टन स्थित आवास से भाग निकली।
देवयानी और उसके एक संबंधी ने रिचर्ड के पति को दिल्ली में कई बार फोन किया, ताकि रिचर्ड की स्थिति का पता लगाने के लिए उस पर दबाव बनाया जा सके। अभियोग में कहा गया कि रिचर्ड के परिवार को धमकाया गया कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और उनसे कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने संपर्क किया।
एक बार देवयानी भी रिचर्ड से बेहद गुस्सा हो गई थीं, जब उसने कहा था कि उसे अमेरिकी वेतन दरों के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए। तब देवयानी ने कहा था कि वीजा आवेदन प्रक्रिया के लिए किया गया अनुबंध सिर्फ एक औपचारिकता थी, जिसे अमेरिकी दूतावास के एक कर्मचारी को दिखाने के लिए तैयार किया गया था।
First Published: Saturday, March 15, 2014, 08:53