Last Updated: Wednesday, November 20, 2013, 18:58
श्वेता शांडिल्यक्या खिलाड़ियों की तरह सियासी नुमायंदों का भी डोप टेस्ट होना चाहिए? पहली नजर में तो ये अजीबोगरीब सवाल लगता है कि लेकिन पंजाब के संदर्भ में इसके खास मायने समझे जा रहे हैं। असल में ये सवाल उठाया है पंजाब के पूर्व कारागार महानिदेशक शशिकांत ने जो राज्य में नशा विरोधी मुहिम छेड़ रहे हैं।
शशिकांत ने ज़ी पंजाब/हरियाणा/हिमाचल को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि पंजाब के सियासतदानों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की भी है जो खुद नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। पंजाब में नशीले पदार्थों का प्रचलन कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए नशे के तस्करों के खिलाफ जंग छेड़ने का ऐलान किया है। इसके तहत नशे के धंधेबाजों के खिलाफ युद्ध स्तर पर कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है।
कई छोटे मोटे तस्कर पकड़े गए हैं। राजा कंडोला के बाद अब जगदीश भोला के नशा माफिया का पर्दाफाश भी हुआ है। लेकिन शशिकांत का कहना है कि जो सियासी नुमायंदे सरकार का हिस्सा हैं उनमें से कई नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं तो ऐसे में नशे और नशे के धंधेबाजों के खिलाफ छेड़ी गई सरकारी मुहिम को मजबूती मिलने पर सवाल उठना लाजिमी है।
शशिकांत ने चुनाव आयोग से इस मामले में दखल देने को कहा है। शशिकांत चाहते हैं कि पंजाब में सभी विधायकों और सांसदों का डोप टेस्ट कराया जाए और इस प्रक्रिया के लिए उन सबके मूत्र और बाल के नमूने लिए जाएं। हालांकि ये चुनाव आयोग से जुड़ा विषय नहीं है और शायद ये बात शशिकांत भी जानते हैं। अब उन्होंने इस मुद्दे पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मन बनाया है।
सियासतदानों के डोप टेस्ट का सवाल पंजाब के सियासी और सरकारी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। जब इस बारे में चैनल ने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से बात की तो उन्होंने शशिकांत के एलएलए और एमपी पर नशे के सेवन के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि नशे की समस्या को लेकर सरकार गंभीर है और इसकी रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि शशिकांत के आरोप पर एक चुटकी भी लेते हुए बोला कि कैसे पता चलेगा कौन नशा करता है और कौन करेगा डोप टेस्ट करेगा? (इस आलेख में लेखक के निजी विचार व्यक्त हैं)
(लेखक ज़ी मीडिया पंजाब/हरियाणा/हिमाचल की संवाददाता हैं)
First Published: Wednesday, November 20, 2013, 18:58