Last Updated: Tuesday, April 29, 2014, 16:25
बिमल कुमार देश के अगले नीति नियंताओं के बारे में फैसला तो 16 मई को आएगा मगर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के अंदर की बौखलाहट इस बात का संकेत दे रही है कि नतीजे कम से कम उनके पक्ष में तो कतई नहीं होंगे। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता अपने बयानों में इस बात को स्वीकार भी कर रहे हैं। दूसरी ओर, इस समय देश भर में छाई मोदी लहर अब सुनामी में तब्दील होती नजर आ रही है। समझा जा सकता है कि इस बार के लोकसभा चुनावों में जनता जनार्दन का मिजाज और मूड क्या है। रैलियों, जनसभाओं आदि के जरिये मोदी ने अभी तक जो भी कहे और किए, उससे यह चुनाव मोदी बनाम ऑल सरीखा बन गया है। इसे नरेंद्र मोदी की सफलता कह लें या मोदी का मास्टर स्ट्रोक।
पहले चरण के चुनाव से पहले से ही बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र अपने चुनाव अभियान में चौके-छक्के लगा रहे हैं। इस बार का पूरा चुनाव अभियान मोदी के इर्द गिर्द घूम रहा है। देश की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां अपने अभियान में मोदी पर ही निशाना साधने में लगे हैं। वहीं, मोदी हैं कि न सिर्फ इन हमलों को बखूबी झेल रहे हैं बल्कि विरोधियों पर पलटवार कर उन्हें चारों खाने चित्त भी कर रहे हैं। मौजूदा समय में देश का शायद ही कोई कोना हो जहां मोदी के नाम के बिना कोई चुनावी कार्यक्रम, जनसभा, रैली आदि संपन्न हो रही है। मजबूरी में ही सही अन्य दलों के नेता उन पर हमले करने के लिए `मजबूर` हैं।
थोड़ा पीछे चलें तो जिस दिन भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था, उसी दिन वह पार्टी की ओर से लगाया गया `मास्टर स्ट्रोक` था। जिसका काट कांग्रेस अब तक नहीं ढूंढ पाई। उसके बाद से मोदी ने ऐसे ऐसे मास्टर स्ट्रोक लगाए जिससे उनके विरोधी धाराशायी होते चले गए। हालांकि उन पर पलटवार भी कम नहीं हुआ लेकिन उनका दांव अभी तक हर दफा `बीस` ही बैठा।
अभी कुछ ही दिन पहले भव्य रोड शो और केसरिया जन सैलाब के बीच नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया। ठीक उसी दिन देश में लोकसभा चुनाव के छठे चरण के तहत 12 राज्यों की 117 सीटों पर मतदान चल रहा था। इसी दिन नामांकन करने का मोदी का फैसला किसी मास्टर स्ट्रोक से कम नहीं था। जैसा कि उन्होंने केंद्र में बीजेपी सरकार बनाने की पहल के तहत ‘मां गंगा’ का उल्लेख करते हुए इस वृहत हिंदी पट्टी में समर्थकों को गोलबंद करने का कारगर और सटीक प्रयास किया।
इसमें कोई संशय नहीं है कि लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी जंग अभी पूर्वांचल में लड़ी जा रही है। मोदी के बनारस सीट से लड़ने की घोषणा के बाद ही न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि अन्य पड़ोसी राज्यों जैसे बिहार, बंगाल आदि का चुनाव इस बार खासा दिलचस्प बन गया। इन क्षेत्रों में वोटों के ध्रुवीकरण की बात बीजेपी सीधे तौर पर भले ही न मान रही हो, पर हकीकत में यह ऐसा ही है। मोदी के वाराणसी से लड़ने के पीछे भी इसी कड़ी की मूल वजह है।
वाराणसी से नामांकन दाखिल करने से पहले मोदी के रोड शो के दौरान गंगा के तट के किनारे बसा आध्यात्म का यह प्राचीनतम केंद्र मानो पूरी तरह थम गया। चारों तरफ ` मोदी, मोदी` का हषर्नाद और कार्यकर्ताओं के उद्घोष के बीच छठे चरण का चुनाव भी फीका पड़ गया। हालांकि यह तो नहीं कह सकते कि मोदी के इस भव्य नामांकन कार्यक्रम का कोई सीधा प्रभाव मतदान वाले क्षेत्रों पर पड़ा होगा, मगर मोदी के इस एक कार्यक्रम को मीडिया में जितनी तवज्जो मिली उससे मतदाता अछूता भी नहीं रहा होगा।
रोड शो का न्यूज चैनलों पर लगातार बिना रुके प्रसारण किया गया जबकि 117 सीटों पर मतदान चल रहा था। मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस इस कदर बौखला गई कि इसकी शिकायत चुनाव आयोग से जाकर कर दी। कांग्रेस नेता यहीं नहीं रुके, उनकी मांग यह भी थी कि आदर्श चुनाव संहिता और अन्य कानून के उल्लंघन को लेकर मोदी एवं अन्य बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
इस रोड शो के बाद मोदी इस कदर गदगद थे, जिसका अंदाजा उनके शब्दों से लगाया जा सकता है। बीजेपी नेता ने कहा, मैं गंगा मां के बुलाने पर इस दैवीय भूमि पर आया हूं। मैं ऐसे आया हूं जैसे कोई बच्चा अपनी मां की गोद में आता है। वाराणसी की सड़कों पर जिस समय यह रोड शो चल रहा था, उस समय कारोबारियों ने अपनी दुकानें तक बंद कर दी और कई जगहों पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी मोदी का स्वागत करते देखे गए। यह माजरा न केवल कांग्रेस बल्कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को भी नागवार गुजरी। इसके बाद वे इस कदर मोदी के खिलाफ हमलावर हो गए लगा जैसे कि मोदी नाम की इस सुनामी वे भी बह जाएंगे। अपने किले को बचाने के लिए वे जी-जान से लग गए और सबके निशाने के केंद्र में थे मोदी। जब मोदी का ऊफान हो, लहर हो तो बीजेपी भला कहां रुकने वाली थी। यूपी में पार्टी के नेता पूरे जोश-खरोश से इसे भुनाने में जुट गए। उत्तर प्रदेश में अब तक बीजेपी की जितनी भी रैली हुई, मोदी ने गिन गिनकर अपने ऊपर लगाए आरोपों और प्रहारों का मुंहतोड़ जवाब दिया।
बीते दिनों मनमोहन सिंह ने कहा था, देश में कोई मोदी लहर नहीं है। जिस पर बाद में नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया में मोदी ने कहा कि जब पीएम को महंगाई अभी तक दिखी ही नहीं तो `मोदी लहर` कहां से दिखेगी। इसके बाद रायबरेली और अमेठी में अपनी मां और भाई (सोनिया गांधी और राहुल गांधी) के चुनाव प्रचार में जुटीं प्रियंका गांधी ने भी नरेंद्र मोदी पर विभाजनकारी, सांप्रदायिकता आदि के नाम पर जमकर प्रहार किए। जिसका जवाब बीजेपी ने रॉबर्ट वाड्रा के ऊपर बनी एक वीडियो फिल्म के जरिये दिया और उसमें कथित जमीन सौदों की सच्चाई को दर्शाया गया। बीजेपी के इस हमले से कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर आती दिखी। हालांकि यह कांग्रेस की बौखलाहट ही है कि अब केंद्र की सत्ता से जाने से पहले गुजरात में महिला जासूसी प्रकरण की जांच के लिए एक न्यायिक कमीशन बनाने की जुगत में है, जिसका इशारा कपिल सिब्बल ने बीते दिनों दिया। मोदी ने अभी तक जिस तरीके से इन सभी शाब्दिक प्रहारों का बखूबी सामना किया और बेहतर जवाब दिया, वह कांग्रेस के गले की फांस बनती चली गई। प्रियंका का जुबानी हमला यह साबित करता है कि कांग्रेस के तरकश के सभी तीर चल चुके हैं और अब उनके पास सिवाय प्रियंका के कुछ भी नहीं बचा। हालांकि प्रियंका यह हमला कुछ देर से आया, जो फिलवक्त शायद ही कांग्रेस की नैया पार लगा सके। चुनावी मौसम में गांधी परिवार पर निशाना साधना इस मास्टर स्ट्रोक का एक कारगर हिस्सा है। जिसका लाभ निश्चित तौर पर बीजेपी के पक्ष में जाता दिख रहा है।
कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा, इमरान मसूद, सपा नेता आजम खान, चिदंबरम, दिग्विजय सिंह आदि नेताओं ने अपनी जुबानी मोदी को न जानें क्या क्या कह डाला। पर ये तो मोदी ही हैं जो समय समय पर विरोधियों पर सटीक वार करते रहे और अपना प्रभाव बढ़ाते चले। सबसे ज्यादा ये नजारा उत्तर प्रदेश में ही देखने को मिला। बात सच भी है, क्योंकि इस सूबे में यदि बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता मिल गई तो इसके केंद्र में भी मोदी ही रहेंगे।
अभी हाल में नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने मोदी के खिलाफ जहरीले बयान दिए। इसके जवाब में मोदी ने कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा का ऐसा जिक्र किया कि फारूक के होश उड़ गए। बाद में उन्हें कहना पड़ा कि मेरा विरोध मोदी के खिलाफ नहीं है बल्कि सांप्रदायिकता के खिलाफ है। यदि हम दूसरे अंदाज में कहें तो यही है मोदी का असली मास्टर स्ट्रोक।
First Published: Tuesday, April 29, 2014, 16:25