Last Updated: Thursday, December 27, 2012, 22:13

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आठ प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला और बिजली के दाम धीरे-धीरे बढ़ाने की पैरवी करते हुए आज कहा कि इन पर दी जाने वाली सरकारी सहायता पर यदि अंकुश नहीं लगाया गया तो इसका असर जनकल्याण की योजनाओं पर पड़ सकता है।
मनमोहन ने आज यहां विज्ञान भवन में 57वीं राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘देश में ईंधन के दाम कम हैं। कोयला, पेट्रोलियम पदार्थों और प्राकृतिक गैस सभी के दाम उनकी अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले कम हैं। इससे बिजली की प्रभावी दर भी कम है।’ पेट्रोलियम पदार्थों और दूसरे ऊर्जा साधनों के दाम चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘इनके दाम में अंतर की भरपाई के लिए एक झटके में दाम बढ़ाना उचित नहीं होगा, मैं इसे समझता हूं, लेकिन धीरे-धीरे इनमें समायोजन करना जरूरी है।’
राष्ट्रीय विकास परिषद देश की सर्वोच्च नीति निर्माता संस्था है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आज हुई परिषद की 57वीं बैठक में अनेक केन्द्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। बैठक में वर्ष 2012 से 2017 तक चलने वाली 12वीं योजना को मंजूरी दे दी गई। मौजूदा कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये इसमें वृद्धि लक्ष्य को 8.2 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया गया।
योजना के पांच साल में पांच करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने और बिजली, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कई मुख्यमंत्रियों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर गौर करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों ने कृषि, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों की महत्ता को रेखांकित किया है। योजना दस्तावेज में इन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने बैठक का यह कहकर बहिष्कार किया कि मुख्यमंत्रियों को अपनी बात रखने के लिये केवल 10 मिनट का समय देकर केन्द्र राज्यों की आवाज दबाना चाहता है। जयललिता ने बैठक से बाहर आकर संवाददाताओं से कहा कि उन्हें टोक कर उनका भाषण बीच में रोककर उनका ‘बड़ा अपमान’ किया गया है। केन्द्र ने राज्यों की आवाज दबाने का यह नया तरीका निकाला है। नाराज जयललिता अपने दिल्ली कार्यक्रम को बीच में छोड़कर चेन्नई लौट गई।
मनमोहन ने विभिन्न क्षेत्रों में दी जा रही सरकारी सहायता को नियंत्रित करने पर काफी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से कुछ सब्सिडी रखना जरूरी है, लेकिन सब्सिडी व्यवस्था सुविचारित और इसका लाभ उन्हीं लोगों तक सीमित रखा जाए जो उसके पात्र हों। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सब्सिडी की मात्रा भी वित्तीय क्षमता के दायरे में होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने राजधानी में एक युवती के साथ हाल में हुई गैंगरेप की वीभत्स घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने विकास में महिलाओं की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करके ही संभव हो सकता है।
मनमोहन ने कहा कि 12वीं योजना में आर्थिक वृद्धि लक्ष्य को कम करके 8 प्रतिशत पर लाना तर्कसंगत सुधार है, लेकिन योजना के पहले वर्ष में 6 प्रतिशत से कम वृद्धि हासिल होने के बाद समूची पंयवर्षीय योजना में आठ प्रतिशत औसत वृद्धि हासिल करना महत्वकांक्षी लक्ष्य है। वित्त मत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने हाल में जो कड़े फैसले किये हैं उससे लोगों को कष्ट पहुंचा है लेकिन राजकोषीय घाटे को कम करने के लिये ये निर्णय जरुरी थे। उन्होंने कहा कि संसाधनों को बढ़ाकर और खर्चे कम करके राजकोषीय घाटे पर अंकुश रखना जरुरी था। सरकार ने हाल ही में डीजल के दाम पांच रुपये लीटर और सस्ते रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति साल में छह तक सीमित कर दी।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इससे पहले कहा कि मौजूदा घरेलू और वैश्विक घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुये आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर आठ प्रतिशत करना बेहतर होगा। यह अनुमान सबसे बेहतर परिस्थिति को ध्यान में रखकर तय किया गया है। उन्होंने कहा ‘मैं बहुत खुश हूं कि एनडीसी ने 12वीं योजना को मंजूरी दे दी। हमने इसमें औसत सालाना वृद्धि लक्ष्य को 8.2 प्रतिशत से मामूली घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया।’ 12वीं योजना में केन्द्र का सकल योजना आकार 43 लाख 33 हजार 739 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का सकल योजना व्यय 37 लाख 16 हजार करोड़ रुपये प्रस्तावित है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 27, 2012, 22:13