‘67 प्रतिशत आबादी को प्रति व्यक्ति मिले 5 किलो सस्ता अनाज’

‘67 प्रतिशत आबादी को प्रति व्यक्ति मिले 5 किलो सस्ता अनाज’

‘67 प्रतिशत आबादी को प्रति व्यक्ति मिले 5 किलो सस्ता अनाज’नई दिल्ली : संसद की स्थायी समिति ने खाद्य सुरक्षा विधेयक में 67 प्रतिशत आबादी को हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज सस्ते दाम पर उपलब्ध कराने का कानूनी प्रावधान करने का सुझाव दिया है। देश की बड़ी आबादी को कानूनन खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराना केन्द्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को सौंपी गई इस रिपोर्ट में लाभार्थियों को तीन रुपए किलो चावल, दो रुपए किलो गेहूं और एक रुपए किलो मोटा अनाज दिए जाने की सिफारिश की गई है।

खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मामले पर बनी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष विलास मुत्तेमवार ने यहां संवाददाताओं को बताया, `हमने सुझाव दिया है कि लाभार्थियों की एकमात्र श्रेणी होनी चाहिए और प्रतिमाह पांच किग्रा प्रति व्यक्ति के हिसाब से खाद्यान्न मिलना चाहिए। इस संसदीय समिति का सुझाव सरकार के खाद्य विधेयक के उस प्रावधान के खिलाफ है जिसमें लाभार्थियों को दो श्रेणी प्राथमिक परिवार और सामान्य परिवार में बांटा गया है। इस विधेयक को लोकसभा में दिसंबर 2011 में पेश किया गया था।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को माकपा के एक सदस्य टीएन सीमा के एक असहमति पत्र के साथ सर्वसम्मति से अपनाया गया है। मुत्तेमवार ने कहा कि समिति, विधेयक के ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत लोगों और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत लोगों को दायरे में लेने के प्रावधान पर सहमत थी। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षी परियोजना माने जाने वाले खाद्य विधेयक के तहत सरकार ने प्रस्ताव किया था कि प्राथमिक घरानों को सात किग्रा चावल और गेहूं प्रति माह प्रति व्यक्ति क्रमश: तीन रुपए और दो रुपए की दर से मिलना चाहिए।

इसमें कहा गया था कि साधारण परिवारों को कम से कम तीन किग्रा खाद्यान्न न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के 50 प्रतिशत की दर पर मिलना चाहिए। मुत्तेमवार ने कहा, `हमने सरकार से गर्भवती महिला तथा बच्चे के जन्म के बाद दो वर्ष के लिए प्रति माह पांच किग्रा अतिरिक्त खाद्यान्न देने को कहा है।` खाद्यान्न की मात्रा को सात से घटाकर पांच किग्रा करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, `समिति ने पाया कि मौजूदा उत्पादन और खरीद की प्रवृति को देखते हुए सात अथवा 11 किग्रा की अहर्ता व्यावहारिक नहीं होगी।`

उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किग्रा की अर्हता के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए 4.88 करोड़ टन और बाकी कल्याणकारी योजनाओं के लिए 80 लाख टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। इतनी मात्रा का प्रबंध किया जा सकता है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, January 17, 2013, 20:47

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