CCI ने रिलायंस के तेल गैस ब्लॉक को दी मंजूरी

CCI ने रिलायंस के तेल गैस ब्लॉक को दी मंजूरी

नई दिल्ली : मंत्रिमंडल की नवगठित निवेश समिति (सीसीआई) ने अपने पहले निर्णय में आज रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के गैस उत्पादन कर रहे ब्लॉक केजी डी6 तथा तीन अन्य क्षेत्र सहित, एनईसी-25 को मंजूरी दे दी। इन क्षेत्रों में रक्षा मंत्रालय ने तेल एवं गैस गतिविधियों पर रोक लगा रखी थी या फिर कड़ी शर्त लगा रखी थीं।

रक्षा मंत्रालय ने रिलायंस के केजी बेसिन के डी6, पूर्वोत्तर तट (एनईसी) क्षेत्र में एनईसी-25 सहित कुल मिलाकर आठ ब्लॉक को ‘‘निषिद्ध’’ क्षेत्र घोषित किया हुआ था। इन ब्लॉकों का कुछ हिस्सा अथवा समूचा क्षेत्र प्रस्तावित नौसेना अड्डे, मिसाइल प्रक्षेपण दायरे या फिर कुछ वायुसेना के अ5यास क्षेत्र में पड़ रहा है।

रक्षा मंत्रालय ने 31 अन्य खोज क्षेत्रों में गतिविधियों के लिये कड़ी शतेर्ं लगा रखी थीं। मंत्रिमंडल की निवेश समिति ने इससे पहले जनवरी अंत में पेट्रोलियम और रक्षा मंत्रालय को मामले में मतभेद सुलझाने को कहा था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि समिति ने ‘‘निषिद्ध’’ घोषित आठ में से पांच क्षेत्रों को मंजूरी दे दी जबकि तीन अभी भी ‘‘निषिद्ध’’ क्षेत्र बने रहेंगे।

रिलायंस के केजी डी6 जो कि सितंबर 2008 से तेल और अप्रैल 2009 से गैस उत्पादन कर रहा है, उसे तेल एवं गैस गतिविधियों के लिये मंजूरी दे दी गई। क्षेत्र के 7,645 किलोमीटर इलाके में गतिविधियों की मंजूरी दे दी गई जबकि 495 किलोमीटर को रक्षा जरुरतों के लिये अलग कर दिया गया।

इसी प्रकार छह गैस खोज वाले एनईसी-ओएसएन 97.2 ब्लॉक के तटीय क्षेत्र को छोड़कर बाकी को मंजूरी दे दी गई। शेष इलाका डीआरडीओ की चांदीपुर मिसाइल रेंज और बालासौर के हवा से हवा में मार करने वाले वायुसेना की रेंज से 100 किलोमीटर से बाहर पाया गया।

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के केजी बेसिन ब्लॉक को हालांकि लगातार ‘‘निषिद्ध’’ क्षेत्र में रखा गया है। ओएनजीसी का केजी-ओएसएन 2005-1 और केजी-ओएसएन- 2005-2 तथा बीजी समूह का केजी डीडब्ल्यूएन 2009-1 सीधे प्रस्तावित नौसना अड्डे के दायरे में आ रहा है इसलिये इन्हें मंजूरी नहीं दी गई।

निवेश समिति ने कहा है कि इस बारे में पेट्रोलियम मंत्रालय इन आवंटित ब्लॉक का अनुबंध समाप्त करने पर कदम उठायेगा। केयर्न इंडिया के केजी ओएसएन 2009-3 और ओएनजीसी के केजी ओएसएन-2009-4 ब्लॉक के कुछ हिस्से को ही मंजूरी दी गई है। ब्लॉक का बाकी हिस्सा वायुसेना के सूर्यलंका गाइडेड वैपन फायरिंग रेंज और मछलीपत्तनम प्रक्षेपण स्थल के प्रभावित क्षेत्र में पड़ रहा है।

सूत्रों के अनुसार इससे पहले जिन 31 ब्लॉक में तेल एवं गैस खोज गतिविधियों के लिये कड़ी शतेर्ं लगा रखी थी उनमें से 15 को डीआरडीओ ने कुछ शतोर्ं के साथ मंजूरी दे दी। 17 ब्लॉक जहां पहले नौसेना ने शतेर्ं लगा रखी थी उन्हें अब बिना किसी शर्त के मंजूरी दे दी गई। 11 ब्लॉक ऐसे थे जहां पहले वायुसेना ने शर्तों के साथ अनुमति दी थी। उनमें से पांच को पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है जब एक ब्लॉक के क्षेत्र में 10 प्रतिशत कमी कर दी गई और बाकी पांच में 2016 तक तेल खोज गतिविधियों के लिये पूरी तरह मंजूरी दे दी गई। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, March 20, 2013, 22:35

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