Last Updated: Tuesday, January 24, 2012, 11:45
मुंबई : रिजर्व बैंक ने सरकार से डीजल के दाम नियंत्रण मुक्त करने को कहा है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि आने वाले समय में खाद्य सब्सिडी और बढ़ेगी ऐसे में बेहतरी इसी में है कि डीजल के दाम खुले बाजार पर छोड़ दिये जाएं।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि महंगे आयात को देखते हुये व्यापार घाटा बढ़ रहा है। वर्ष की समाप्ति तक व्यापार घाटा बढ़कर 160 अरब डालर तक पहुंच जाने की आशंका है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। लेकिन पेट्रोलियम, उर्वरक और खाद्यान्न सब्सिडी बजट अनुमान से ज्यादा होने की वजह से राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से अधिक रहने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
रिजर्व बैंक की आज जारी तीसरी तिमाही समीक्षा में कहा गया है ‘खासकर ऐसी स्थिति में जब खाद्य सब्सिडी बिल बढने का अनुमान लगाया जा रहा है, यह समझदारी होगी कि डीजल के दाम सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिये जायें, इससे जहां एक तरफ मांग पर अंकुश लगेगा वहीं व्यापार घाटा भी कम होगा।’ सरकार ने पेट्रोल के दाम जून 2010 में नियंत्रण मुक्त कर दिये थे। लेकिन डीजल, घरेलू रसोई गैस सिलेंडर और राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल के दाम सरकार खुद तय करती है, इससे सरकारी खजाने पर भारी सब्सिडी बोझ बढ़ता है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि पेट्रोलियम पदाथोर्ं की मौजूदा कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनके उंचे दाम के अनुरुप नहीं हैं। ‘इससे जहां एक तरफ वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल होता है वहीं मुद्रास्फीति का असली स्वरुप भी सामने नहीं आ पाता है। जैसे ही सरकार पेट्रोलियम पदाथोर्ं के दाम बढ़ायेगी, मुद्रास्फीति फिर से चढ़ने लगेगी।’
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 24, 2012, 17:15