अगले वर्ष भी महंगाई का जोर: एसोचैम - Zee News हिंदी

अगले वर्ष भी महंगाई का जोर: एसोचैम



 

नई दिल्ली : खाद्य वस्तुओं में तेज गिरावट के बावजूद उद्योग मंडल का मानना है कि आम आदमी को अगले वित्त वर्ष में भी महंगाई सताती रहेगी और 2012.13 में यह 8 प्रतिशत का स्तर छू सकती है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने आगामी मार्च तक मुद्रास्फीति के सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जबकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का अनुमान है कि यह छह प्रतिशत तक आ जाएगी। नवंबर में सकल वस्तुओं के थोक मूल्य सूचचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 9.11 प्रतिशत थी।

 

मुद्रास्फीति पर एक विश्लेषण पत्र जारी करते हुए एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि लंबे समय तक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा बने रहने और मांग के उच्च स्तर का दबाव के अलावा बाहरी कारकों के ईंधन की कीमतों में तेजी से निकट भविष्य में महंगाई से निजात मिलने की उम्मीद नहीं है।

 

एसोचैम के आकलन में आगे कहा गया है कि भले ही खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.4 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है, हाल के अनुभवों से पता चलता है कि फसलों की कटाई के तुरंत बाद अनाज के दाम गिर जाते हैं, लेकिन बाजार में इसकी कमी होते ही दाम चढ़ने लगते हैं। कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए उचित भंडारगृहों और ढांचागत सुविधाओं की कमी के चलते कीमतों में उतार.चढ़ाव का रुख बनता है।

 

उद्योग मंडल ने कहा कि खाद्य वस्तुओं के उलट, खनिजों के दाम अब भी बढ़ रहे हैं जिससे देश में आपूर्ति संबंधी बाधाएं उजागर होती हैं। वहीं, सरकार द्वारा वैश्विक बाजारों से उंची कीमतों पर खनिजों का आयात बढ़ाने से सकल मुद्रास्फीति बढ़ रही है। एसोचैम की विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के आंकड़ों में घरेलू और विदेशी दोनों कारकों की भूमिका होती है। ईंधन तथा प्राथमिक वस्तुओं की कीमतों पर बाहरी कारणों तथा घरेलू नितियों का बड़ा प्रभाव है। विनिर्मित वस्तुओं संबंधी मुद्रास्फीति को देखने से लगता है कि घरेलू विनिर्माताओं पर विनिमय दर तथा वैश्विक मुद्रास्फीति का प्रभाव है।

(एजेंसी)

First Published: Friday, December 30, 2011, 18:25

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