अमीरों पर अधिक टैक्स न लगाया जाए: उद्योग जगत --Don`t impose higher tax on rich, industry tells govt

अमीरों पर अधिक टैक्स न लगाया जाए: उद्योग जगत

अमीरों पर अधिक टैक्स न लगाया जाए: उद्योग जगत नई दिल्ली : उद्योग जगत के दिग्गजों ने आज सरकार से आग्रह किया कि वह अमीरों पर उंचा कर लगाने के प्रस्ताव पर विचार न करे। उद्योग जगत का मानना है कि उंची आय वाले लोगों पर अधिक कर लगाने से उद्यमशीलता हतोत्साहित होगी। इसके साथ ही उद्योग जगत ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को तत्काल लागू किए जाने और कारपोरेट कर की दर को इसी स्तर पर रखने की भी मांग की।

वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ बजट पूर्व बैठक में उद्योग मंडलों सीआईआई, फिक्की तथा एसोचैम के प्रतिनिधियांे ने सरकार को विरासत या उत्तराधिकार कर लगाने के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम से बचत तथा निवेश तो प्रभावित होगा ही, पूंजी का सृजन भी हतोत्साहित होगा।

फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा, ‘‘उच्च आय वर्ग पर अधिक कर की दर लगाने का औचित्य नहीं है, क्योंकि इससे उद्यमशीलता प्रभावित होगी। ऐसे में पेशेवर कम कर वाले देशांे मसलन सिंगापुर, दुबई या लंदन का रुख कर सकते हैं।’’ फिक्की ने व्यक्तिगत आयकर के मामले में 20 लाख रुपये से अधिक की आमदनी पर 30 प्रतिशत की अधिकतम कर दर लागू करने की मांग की है। अभी यह सीमा 10 लाख रुपये की है। किदवई ने कहा कि यह निवेशक समुदाय के विश्वास को और गिराने का समय नहीं है। पिछले साल के कर संशोधनों से निवेशकों का भरोसा पहले ही डिगा हुआ है।

इसी तरह की राय जाहिर करते हुए एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा, ‘‘दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता। हमारी राय है कि उन पर कर लगे, लेकिन यह उचित हो। उनके पास पैसा है। इस पैसे का देश में निवेश कर वे रोजगार का सृजन करते हैं। अमीर व्यक्तियांे के निवेश से उत्पाद शुल्क, बिक्रीकर भी मिलता है यानी इससे राजस्व भी प्राप्त होता है।’’ सीआईआई के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने कहा, ‘‘हमारा कहना है कि अमीरों पर अधिक कर के किसी भी कदम से निवेश पर नकारात्मक धारणा बनेगी और इससे बचा जाना चाहिए।’’ वस्तु एवं सेवा कर के मसले पर किदवई ने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर राज्य सरकारों से बात कर इसको जल्द से जल्द क्रियान्वित करने की योजना बनानी चाहिए। गोदरेज ने कहा कि उद्योग चाहता है कि जीएसटी को जल्द से जल्द लागू किया जाए और संविधान संशोधन संबंधी मसले को जल्द सुलझाया जाए, जिसे संसद में 22 मार्च, 2011 को पेश किया गया था। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, January 16, 2013, 23:54

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